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प्रधानमंत्री मोदी: लोकतांत्रिक नेतृत्व का नया कीर्तिमान

4,078 दिनों तक निरंतर प्रधानमंत्री पद पर कार्य करते हुए नरेंद्र मोदी भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री बने।

25 जुलाई 2025 को भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 4,078 दिनों तक प्रधानमंत्री पद संभालते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह उपलब्धि उन्हें भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित करती है। उनसे आगे अब केवल पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं, जिन्होंने आज़ादी के बाद लगभग 17 वर्षों तक लगातार देश का नेतृत्व किया। नरेंद्र मोदी स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री हैं और एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में लगातार 24 वर्षों तक शासन किया है।

नरेंद्र मोदी का यह राजनैतिक सफर किसी साधारण व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत का प्रमाण है। गुजरात के वडनगर जैसे छोटे से शहर में जन्मे मोदी ने बचपन में रेलवे स्टेशन पर अपने पिता के साथ चाय बेचकर जीवन की शुरुआत की। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संगठनात्मक शिक्षा ली और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में विभिन्न स्तरों पर काम करते हुए वर्ष 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2002, 2007 और 2012 में राज्य विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की और 2014 में नरेंद्र मोदी ने जबरदस्त जन समर्थन के साथ देश की बागडोर संभाली। इसके बाद 2019 में उन्होंने 303 सीटें जीतकर एक और निर्णायक बहुमत हासिल किया, और 2024 में एनडीए के सहयोग से तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।

उनका कार्यकाल केवल लगातार चुनावी जीतों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इस दौरान भारत को विश्व मंच पर एक प्रभावशाली और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में उभारने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश नीति को सक्रिय, व्यापक और रणनीतिक बनाया। अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और कई अफ्रीकी देशों के साथ भारत ने रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, विज्ञान और सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्र में मजबूत और दीर्घकालिक संबंध बनाए। अमेरिका के साथ हुए समझौतों से रक्षा तकनीक, 5जी नेटवर्क और अर्धचालक उद्योग में महत्वपूर्ण अवसर मिले। फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान करार, जापान के साथ हाई-स्पीड रेल परियोजना, और यूएई के साथ आर्थिक सहयोग और मुद्रा विनिमय जैसे समझौतों ने भारत की सामरिक और आर्थिक ताकत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।अंतरराष्ट्रीय मंचों पर 'वसुधैव कुटुम्बकम', 'योग दिवस', 'ग्लोबल साउथ' की आवाज़ बनने जैसे कदमों ने भारत की सॉफ्ट पावर को और प्रभावशाली बनाया।

देश की सुरक्षा के मोर्चे पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णायक नेतृत्व का परिचय दिया। 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक ने भारत की सैन्य नीति में बदलाव की शुरुआत की। सेना के आधुनिकीकरण के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियार निर्माण पर ज़ोर दिया गया—जैसे तेजस लड़ाकू विमान, अर्जुन टैंक और INS विक्रांत। पहली बार तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद सृजित हुआ। अग्निपथ योजना के ज़रिए युवा सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया को आधुनिक बनाया गया। इन सभी कदमों ने भारत को न केवल रक्षा के स्तर पर मज़बूत किया, बल्कि वैश्विक मंच पर एक निर्णायक राष्ट्र के रूप में भी प्रस्तुत किया।

विकास के क्षेत्र में नरेंद्र मोदी ने जनकल्याणकारी योजनाओं की एक श्रृंखला चलाई—जैसे उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया। इन योजनाओं ने गरीबों, महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण जनता को सीधा लाभ पहुंचाया और देश की आर्थिक गति को नया आयाम दिया। 2014 से 2025 के बीच भारत ने डिजिटल लेन-देन, स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की। देश की जीडीपी, एफडीआई और रोजगार दर में सुधार हुआ, जिससे भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा।

नरेंद्र मोदी की यह उपलब्धि केवल संख्याओं की बात नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र, जनविश्वास और विकास की साझा यात्रा की कहानी है। एक ऐसा नेता जो अपने विचारों, कार्यशैली और जनसंवाद से जनता के दिल में जगह बना पाया। उन्होंने यह दिखाया कि भारत का लोकतंत्र किसी एक पार्टी या परिवार तक सीमित नहीं, बल्कि एक चायवाले का बेटा भी प्रधानमंत्री बन सकता है और इतिहास रच सकता है। आज जब विदेशों में भारत की बात होती है, तो उसमें प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की स्पष्ट छवि दिखाई देती है—एक सशक्त, आत्मनिर्भर और प्रगतिशील भारत की पहचान।

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