
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत तेज़ी से चल रही है। अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाया गया 50% शुल्क अस्थायी माना जा रहा है। दोनों देशों ने संकेत दिया है कि समाधान जल्द निकल सकता है। भारत सरकार ने साफ किया है कि इस समझौते में किसानों, मछुआरों और छोटे उद्यमियों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।
भारत-अमेरिका संबंध और टैरिफ विवाद
अमेरिकी सरकार ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 50% शुल्क लगाया था। यह निर्णय भारत के लिए चिंता का विषय जरूर बना, लेकिन वाणिज्य मंत्रालय का मानना है कि यह एक अस्थायी चरण है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत अपने किसानों और छोटे उद्योगों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचने देगा।
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी भारत-अमेरिका संबंधों को जटिल जरूर बताया, लेकिन यह भरोसा जताया कि "आखिरकार हम एक साथ आ जाएंगे।" उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था के रूप में लंबे समय तक साथ काम करने के लिए बाध्य हैं।
भारतीय निर्यात पर असर
27 अगस्त से अमेरिकी टैरिफ बढ़ने के बावजूद भारत का निर्यात मजबूत स्थिति में है। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल से जुलाई) में अमेरिका को निर्यात का मूल्य 33.53 अरब डॉलर दर्ज किया गया। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में करीब 22% अधिक है। पिछले पूरे वित्त वर्ष में यह निर्यात 86.5 अरब डॉलर तक पहुंचा था और अनुमान है कि मौजूदा साल भी निर्यात का स्तर इसी के आसपास रहेगा।
समाधान की दिशा में कदम
वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि भारतीय निर्यात का दायरा बहुत व्यापक है और इसी कारण अमेरिकी शुल्क का समग्र असर सीमित रहेगा। हां, वस्त्र, रत्न-आभूषण और चमड़े से जुड़े उद्योग कुछ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। ऐसे में सरकार ने निर्यातकों को सहयोग देने और प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
वैकल्पिक बाजारों की तलाश
अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर 50% शुल्क लागू होने के बाद भारत ने वैकल्पिक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सरकार ने करीब 40 ऐसे देशों को चिन्हित किया है जहाँ निर्यात की नई संभावनाएँ मौजूद हैं। खासतौर पर वस्त्र क्षेत्र के लिए इन देशों में विशेष प्रचार और संपर्क अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। ये 40 देश मिलकर लगभग 590 अरब डॉलर का वस्त्र और परिधान आयात करते हैं, जबकि भारत की हिस्सेदारी अभी केवल 5–6% है। ऐसे में इन बाजारों में भारतीय उपस्थिति बढ़ाने की गुंजाइश काफी अधिक मानी जा रही है।
निष्कर्ष
निर्यातकों को सुरक्षित रखने और उनकी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए केंद्र सक्रिय है। मंत्रालय इस सप्ताह विभिन्न क्षेत्रों—जैसे रसायन और रत्न-आभूषण—से जुड़े कारोबारियों के साथ बैठक करेगा, जिससे वैकल्पिक बाजार तलाशे जा सकें। साथ ही, 2025-26 के बजट में घोषित "निर्यात संवर्धन मिशन" को गति दी जा रही है ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की हिस्सेदारी और मजबूत हो सके।