Politics

चिराग पासवान और आनंद मोहन के बीच सियासी विवाद से बढ़ा तनाव

बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस बार मुकाबला है केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन के बीच। अधिक पढ़ें...

बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस बार मुकाबला है केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन के बीच। हाल ही में शुरू हुई इन दोनों नेताओं की जुबानी जंग ने सूबे की राजनीति में हलचल मचा दी है।

यह विवाद विधानसभा उपचुनाव के दौरान शुरू हुआ, जब आनंद मोहन ने चिराग पासवान पर इमामगंज सीट पर प्रचार न करने का आरोप लगाया। उन्होंने चिराग से सवाल किया कि वे जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी के लिए प्रचार से क्यों दूर रहे। आनंद मोहन ने इशारों में कहा कि चिराग की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है।

इस विवाद में आनंद मोहन के बेटे और शिवहर से विधायक चेतन आनंद भी कूद पड़े। उन्होंने चिराग से सीधे तौर पर पूछा कि आखिर वे एनडीए के साथ हैं या नहीं। चेतन ने यहां तक दावा कर दिया कि चिराग पासवान और जन सुराज पार्टी के बीच कोई अंदरूनी समझौता हो सकता है।

चिराग पासवान ने इन आरोपों पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने आनंद मोहन को नीतीश कुमार की “कृपा” से जेल से बाहर आने की बात याद दिलाई। चिराग ने कहा कि आनंद मोहन पहले खुद संगीन आरोपों के कारण जेल में थे और अब उन्हीं समाज के लोगों पर सवाल उठा रहे हैं, जिनके समर्थन से उनकी राजनीति जिंदा है।

जेडीयू ने इस पूरे विवाद से खुद को अलग रखा है। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने इसे दोनों नेताओं का व्यक्तिगत मामला बताया। हालांकि, अंदरखाने में एनडीए के भीतर उभरती दरारें चर्चा का विषय बनी हुई हैं। चिराग पासवान की एनडीए में भूमिका और उनके राजनीतिक निर्णयों पर सवाल उठ रहे हैं।

दोनों नेताओं के समर्थकों ने आपस में एक-दूसरे के नेता के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया,अब अशोक चौधरी पर बड़ी जिम्मेदारी है। उन्हें इस कड़वाहट को कम करना होगा और दोनों नेताओ के बीच सामंजस्य बिठाना होगा। इस विवाद ने बिहार की राजनीति में नए समीकरणों की ओर इशारा किया है। एनडीए में शामिल दलों के बीच बढ़ता तनाव 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा मुद्दा बन सकता है। सवाल यह है कि क्या यह विवाद एनडीए में दरार का संकेत है या फिर महज दो नेताओं के बीच का निजी टकराव।

बिहार की राजनीति में ऐसे झगड़े कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन इस बार मामला अलग है। चिराग पासवान और आनंद मोहन, दोनों ही अपने-अपने समाज में प्रभावी माने जाते हैं। ऐसे में, इनका आपसी विवाद राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।

भाजपा का विकसित बिहार का संकल्प

Can Humans Live for 200 Years? Ramdev Baba's Claim Sparks Debate

भारतीय नौसेना को मिला अभूतपूर्व बल

National Doctor's Day: India Celebrating Its Medical Heroes!

Hyderabad’s Ashada Bonalu: A Vibrant Festival of Faith and Culture