सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) 2005 भारत में नागरिकों के लिए सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। गुजरात सरकार ने इस अधिनियम के क्रियान्वयन को सरल, तीव्र और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें पांच पेज तक की जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराना शामिल है। इस निर्णय का उद्देश्य आम नागरिकों के लिए सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाना है, जिससे सरकारी प्रक्रियाओं में विश्वास बढ़े और भ्रष्टाचार कम हो।
इस निर्णय के तहत गुजरात सरकार ने वर्गीकरण और अनुक्रमण के साथ सरकारी रिकॉर्ड बनाए रखने और उन्हें वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्णय लिया है, ताकि नागरिक आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकें। पांच पेज तक की जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराने का निर्णय विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए फायदेमंद है, जिन्हें आरटीआई आवेदन शुल्क का भुगतान करना बोझिल लगता था। इसके अलावा, इस कदम से सरकारी कार्यालयों में सूचनाओं की उपलब्धता में तेजी आएगी और आवेदकों का समय और लागत बचेगी।
इस निर्णय का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार को मजबूत करता है। आरटीआई अधिनियम के तहत, नागरिकों को सरकारी नीतियों, निर्णयों और कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन कई बार शुल्क और जटिल प्रक्रियाओं के कारण लोग इस अधिकार का उपयोग करने में असमर्थ होते हैं। गुजरात सरकार का यह निर्णय ऐसी बाधाओं को दूर करेगा और अधिक लोगों को आरटीआई का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा।
गुजरात सरकार का यह निर्णय सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पांच पृष्ठों तक की जानकारी मुफ्त प्रदान करने की नीति नागरिकों को सरकारी प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करेगी और सरकार में विश्वास बढ़ाएगी। यदि यह निर्णय ठीक से लागू किया जाता है, तो यह गुजरात में आरटीआई अधिनियम की प्रभावशीलता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा और लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करेगा।