
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह (Union Home Minister Shri Amit Shah) ने हाल ही में नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करना था। यह बैठक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सहकारी समितियों को केवल एक संस्था नहीं, बल्कि जीवंत और सफल व्यावसायिक इकाइयों में बदलने पर केंद्रित है।
श्री अमित शाह (Union Home Minister Shri Amit Shah) ने बैठक में बताया कि देश में 2 लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना का लक्ष्य है, जिनमें से अब तक 35,395 नई समितियां बन चुकी हैं। इनमें 6,182 बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (MPACS), 27,562 डेयरी और 1,651 मत्स्य सहकारी समितियां शामिल हैं। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में आर्थिक गतिविधियों को गति देना और विशेष रूप से भूमिहीन और पूंजीहीन व्यक्तियों को समृद्धि के अवसर प्रदान करना है।
सहकारिता को और सशक्त बनाने के लिए, तीन नई राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियों का भी गठन किया गया है: राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (NCOL), राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL)। ये समितियां क्रमशः जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने, उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में निर्यात करने, और पारंपरिक बीजों को संरक्षित करने के लिए काम करती हैं।
सहकारिता मंत्रालय ने पिछले चार वर्षों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी, मत्स्य, सहकारी बैंकों और चीनी सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए 100 से अधिक पहलें शुरू की हैं। इन पहलों के माध्यम से सहकारी क्षेत्र में सुधार और विकास को गति दी जा रही है।
इन पहलों में डिजिटल सुधार, नीतिगत परिवर्तन, और वित्तीय सहायता शामिल हैं, जो सहकारी क्षेत्र को आधुनिक बनाने और इसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सहकारी नीति-2025 के तहत एक व्यापक रोडमैप तैयार किया गया है, जो प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) जैसी सरकारी योजनाओं के साथ समन्वय स्थापित कर जमीनी स्तर पर सहकारी इकोसिस्टम को मजबूत करेगा।
श्वेत क्रांति 2.0 के अंतर्गत, अगले पांच वर्षों में दूध की खरीद को 50% बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में, 15,691 नई डेयरी सहकारी समितियां पंजीकृत की गई हैं और 11,871 मौजूदा समितियों को मजबूत किया गया है। टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और 15 राज्यों के मिल्क यूनियनों ने डेयरी सहकारी समितियों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए समझौता किया है। सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण को मानकीकृत करने के लिए, संसदीय अधिनियम के माध्यम से त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है, जिसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करेगा। इन सभी प्रयासों से सहकारी समितियाँ ग्रामीण भारत में विकास, समानता और आत्मनिर्भरता का इंजन बन रही हैं, जिससे 'सहकार से समृद्धि' का लक्ष्य साकार हो रहा है।