
भारत में पहली बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल पद्धति से होने जा रही है, जिसके तहत लोग अपने घर बैठे मोबाइल एप या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से खुद ही अपनी जानकारी भर पाएंगे। इस नई व्यवस्था की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बिहार के समस्तीपुर, सीवान, सीतामढ़ी और सारण जिलों के चुनिंदा क्षेत्रों में 1 सितंबर से की जाएगी।
नए जनगणना एप में नागरिकों को अपने घर का स्थान, परिवार के प्रत्येक सदस्य का विवरण, शिक्षा, पेशा, आय, आवास का प्रकार और ग्रामीण या शहरी स्थिति जैसी सूचनाएं दर्ज करनी होंगी। सुविधा के बावजूद, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी व्यक्ति छूट न जाए, पारंपरिक घर-घर सर्वे भी साथ में जारी रहेगा।
यह अभियान दो चरणों में चलेगा। पहले चरण में अप्रैल 2026 से हाउस लिस्टिंग और आवास संबंधी विवरण एकत्र किए जाएंगे, जबकि दूसरे चरण में मार्च 2027 से जनसंख्या गणना होगी। इस बीच 31 दिसंबर 2025 तक प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर रखा जाएगा, जिससे डेटा संग्रहण में स्पष्टता बनी रहे।
जनगणना के प्रभावी संचालन के लिए केंद्र और राज्यों में उच्चस्तरीय समितियां गठित की गई हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव करेंगे, जबकि बिहार में मुख्य सचिव के नेतृत्व में 12 विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
सरकार का लक्ष्य 1 जनवरी 2026 तक सभी राज्यों की प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर करना है। यह स्थिति 31 मार्च 2027 तक अपरिवर्तित रहेगी। इस संदर्भ में, बिहार सरकार ने 29 जुलाई 2025 को एक राज्य-स्तरीय सूचना जारी की है। इसके तहत, बिहार सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक जिलों, अनुमंडलों, प्रखंडों, नगर निकायों और ग्राम पंचायतों के प्रशासनिक क्षेत्राधिकारों की सीमाओं को निर्धारित करने का कार्य पूरा करने का आदेश दिया है। इससे पहले, बिहार सरकार ने 16 जुलाई 2025 को अपने राज्य राजपत्र में जनगणना के आंकड़े प्रकाशित किए थे।
अभियान में जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को उन्नत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय गृह सचिव और जनगणना आयुक्त ने दिशा-निर्देश जारी किए। राज्य स्तर पर भी 170 से अधिक अधिकारियों को आधुनिक डेटा संग्रहण और डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
डिजिटल जनगणना का मकसद न केवल अद्यतन और सटीक जनसंख्या आंकड़े जुटाना है, बल्कि नीतिगत योजनाओं के लिए मजबूत आधार तैयार करना भी है। बड़े पैमाने पर तकनीक के इस्तेमाल से यह प्रक्रिया समय, संसाधन और लागत—तीनों में बचत करते हुए ज्यादा पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी। यह पहली बार डिजिटल प्लेटफॉर्म के बड़े पैमाने पर उपयोग का अवसर देगा, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और अधिक प्रभावी होगी।