रांची में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में बिहार के लिए कई अहम निर्णय लिए गए। दशकों से लंबित सोन नदी के जल बंटवारे का मसला सुलझा लिया गया है। संयुक्त बिहार के समय निर्धारित 7.75 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) जल में से 5.75 एमएएफ बिहार को और 2.00 एमएएफ झारखंड को मिलेगा। यह सहमति दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चली आ रही जल विवाद को समाप्त करने में निर्णायक साबित होगी।
बैठक में बिहार की ओर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने गाद प्रबंधन और बाढ़ समस्या का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने कहा कि हर वर्ष कोसी, गंगा और अन्य नदियों से भारी मात्रा में गाद जमा होने के कारण राज्य बाढ़ की त्रासदी झेलता है। इसे देखते हुए व्यापक गाद प्रबंधन नीति बनाए जाने पर सहमति बनी है। इसके अलावा फरक्का बराज के कारण गंगा की अविरलता और बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा पर कटाव रोकने हेतु केंद्र से खर्च का 100% वहन करने का अनुरोध किया गया।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भारत-नेपाल सीमा से आने वाली नदियों के जल प्रबंधन के लिए एक समन्वित नीति की जरूरत पर भी जोर दिया। बैठक में मसानजोर डैम और इंद्रपुरी जलाशय से जुड़े मुद्दों के अलावा बिहार के विभाजन के समय से लंबित सार्वजनिक उपक्रमों की संपत्ति और देनदारियों को लेकर भी चर्चा हुई।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को केंद्र और राज्यों के संयुक्त प्रयास से ही साकार किया जा सकता है। बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री सचंद्रिमा भट्टाचार्य, बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी और मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा सहित संबंधित राज्यों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह बैठक न केवल संसाधन साझेदारी, बल्कि सीमावर्ती विकास और दीर्घकालिक क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही, जिससे बिहार को विकास के नए अवसर प्राप्त होंगे।