
बिहार सरकार ने लघु एवं सीमांत किसानों को सशक्त बनाने और कृषि में तकनीकी विकास को गति देने के उद्देश्य से एक बड़ी योजना की शुरुआत की है। उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने घोषणा की है कि राज्य के हर पंचायत में कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) की स्थापना की जाएगी, जिससे छोटे किसानों को उन्नत कृषि यंत्र किराये पर रियायती दरों पर मिल सकेंगे। यह कदम कृषि रोड मैप के अंतर्गत लिया गया है, जो किसानों की लागत घटाने और उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
कई छोटे और सीमांत किसान आधुनिक कृषि यंत्र खरीदने में असमर्थ होते हैं, जिससे उन्हें खेती के कार्यों में देरी और नुकसान उठाना पड़ता है। कस्टम हायरिंग सेंटर की मदद से वे अब जुताई, बुआई, कटाई और मड़ाई जैसे कार्यों के लिए ट्रैक्टर चालित या स्वचालित यंत्रों का लाभ ले सकेंगे। प्रत्येक सेंटर पर न्यूनतम चार आवश्यक यंत्रों की उपलब्धता अनिवार्य होगी।
एक सेंटर की स्थापना पर अधिकतम 10 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है, जिसमें सरकार द्वारा कुल 4 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। 35 बीएचपी या उससे अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर पर 1.60 लाख रुपये तथा अन्य यंत्रों पर 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। यह योजना प्रगतिशील किसानों के साथ-साथ जीविका समूह, एफपीओ, एफपीसी, किसान क्लब और स्वयं सहायता समूहों के लिए भी लागू है।
अब तक राज्य में 950 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित हो चुके हैं और वित्तीय वर्ष 2025-26 में 267 नए सेंटर खोलने का लक्ष्य रखा गया है। श्री सिन्हा ने कहा कि यह पहल न सिर्फ किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी।
यह योजना बिहार के कृषि क्षेत्र में एक तकनीकी क्रांति का मार्ग प्रशस्त कर रही है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और कृषि को एक सुदृढ़ व्यवसाय के रूप में विकसित किया जा सकेगा।
एनडीए सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में यह पहल दर्शाती है कि वह जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं को समझते हुए ठोस समाधान प्रदान कर रही है। जदयू-भाजपा गठबंधन की यह योजना आत्मनिर्भर बिहार की दिशा में एक मजबूत कदम है।