अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने हाल ही में खेल को और अधिक गतिशील, निष्पक्ष और मनोरंजक बनाने के उद्देश्य से पुरुषों के क्रिकेट नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए नियम 2 जुलाई, 2025 से सीमित ओवरों (वनडे और टी-20) के फॉर्मेट में प्रभावी होंगे, जबकि टेस्ट क्रिकेट में ये नई विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (2025-27) के लिए पहले ही लागू हो चुके हैं।
टी-20 में बदला पावरप्ले का गणित:- टी-20 मैचों के लिए ICC ने पावरप्ले के नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है। अब वर्षा या किसी अन्य कारण से मैच के ओवर कम होने पर पावरप्ले के ओवर भी उसी अनुपात में कम किए जाएंगे। यह नियम जुलाई से लागू होगा और इसका उद्देश्य छोटे टी-20 मैचों को अधिक स्पष्ट और निष्पक्ष बनाना है। उदाहरण के लिए 5 ओवर के मैच में 1.3 ओवर , 10 ओवर के मैच में 3 ओवर , 15 ओवर के मैच में 4.3 ओवर का पावरप्ले होगा। पावरप्ले के दौरान, केवल दो फील्डर ही 30 गज के दायरे से बाहर रह सकते हैं। यह नियम इंग्लैंड के टी-20 ब्लास्ट टूर्नामेंट में कई सालों से सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
टेस्ट में स्टॉप क्लॉक नियम :- टेस्ट क्रिकेट में अब स्टॉप क्लॉक नियम प्रभावी हो गया है। इस नियम के अनुसार, यदि क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम अगला ओवर शुरू करने में 60 सेकंड से अधिक का समय लेती है, तो उन्हें दो बार चेतावनी दी जाएगी। यदि इसके बाद भी वे इस नियम का उल्लंघन करते हैं, तो विरोधी टीम के खाते में 5 पेनल्टी रन जोड़ दिए जाएंगे। यह नियम टी-20 और वनडे क्रिकेट में पहले से ही एक साल से लागू है, जो खेल की गति को बनाए रखने में मदद करता है।
शॉर्ट रन पर सख्ती :- ICC ने तीनों फॉर्मेट के लिए शॉर्ट रन के नियम में भी बदलाव किया है। यदि कोई बल्लेबाज जानबूझकर रन पूरा नहीं करता है, तो अंपायर फील्डिंग टीम से पूछेंगे कि वे पिच पर मौजूद दोनों बल्लेबाजों में से किसे स्ट्राइक पर चाहते हैं। 5 रन की पेनल्टी का नियम भी जारी रहेगा।
क्रिकेट में गेंद पर लार (सलाइवा) के उपयोग पर प्रतिबंध अभी भी लागू रहेगा। हालांकि, ICC ने इस नियम में एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया है: यदि अनजाने में गेंद पर लार लग जाती है, तो अंपायर के लिए तुरंत गेंद बदलना आवश्यक नहीं होगा। गेंद को तभी बदला जाएगा जब उसकी स्थिति में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन आया हो, जैसे कि वह बहुत अधिक गीली हो गई हो या उसकी चमक में असामान्य वृद्धि हो गई हो, जिससे खेल पर अनुचित प्रभाव पड़ सकता हो।
कैच रिव्यू में LBW की भी जांच :- कैच के नियम में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। यदि कैच आउट का रिव्यू गलत साबित होता है, लेकिन गेंद पैड पर लगी हो, तो टीवी अंपायर LBW की भी जांच करेंगे। यदि बल्लेबाज LBW आउट होता है, तो उसे आउट दिया जाएगा। यह नियम तीनों फॉर्मेट के लिए है।
नो-बॉल पर कैच की विस्तृत जांच:- यदि सॉफ्ट सिग्नल (अंपायर का लिया गया रिव्यू) के तहत नो-बॉल पर कैच सही पाया जाता है, तो बल्लेबाजी टीम को नो-बॉल का एक अतिरिक्त रन मिलेगा। यदि कैच सही नहीं है, तो नो-बॉल का एक रन और दौड़कर बनाए गए रन दोनों मिलेंगे। पहले, कैच पर संदेह होने पर फील्ड अंपायर थर्ड अंपायर को रेफर करता था, और यदि टीवी अंपायर बताता था कि यह नो-बॉल थी, तो कैच की जांच नहीं होती थी। अब इसकी जांच की जाएगी। यह नियम भी तीनों फॉर्मेट के लिए लागू होगा।
ये सभी बदलाव क्रिकेट को और अधिक रोमांचक और निष्पक्ष बनाने की दिशा में ICC का एक महत्वपूर्ण कदम है। आगामी मैचों में इन नियमों के प्रभाव को देखना दिलचस्प होगा।