भारत निर्वाचन आयोग ने आदेश के माध्यम से बिहार के 17 ऐसे राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है जो वर्ष 2019 से अब तक किसी भी प्रकार का चुनाव नहीं लड़े हैं। इन दलों को गैर-सक्रिय मानते हुए आयोग ने इन्हें पंजीकृत सूची से हटाने (डीलिस्ट) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत जो दल लंबे समय तक चुनाव नहीं लड़ते, उन्हें किसी प्रकार की मान्यता या सुविधा प्रदान नहीं की जा सकती।
इस क्रम में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय ने इन दलों से 15 जुलाई 2025 तक अपना तथ्यात्मक पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। दलों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपनी राजनीतिक सक्रियता और चुनावों में भागीदारी से जुड़ी जानकारी तथा साक्ष्य मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय को उपलब्ध कराएं, ताकि राज्य स्तर से इस संबंध में समुचित विवरण भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जा सके। यह जवाब ईमेल के माध्यम से भी भेजा जा सकता है। यदि निर्धारित समय सीमा तक कोई जवाब नहीं आता है, तो संबंधित दलों को आयोग की सूची से हटा दिया जाएगा।
जिन 17 राजनीतिक दलों को यह नोटिस जारी किया गया है, उनमें शामिल हैं:- भारतीय बैकवर्ड पार्टी, भारतीय सुराज दल, भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), भारतीय जनतंत्र सनातन दल, बिहार जनता पार्टी, देसी किसान पार्टी, गांधी प्रकाश पार्टी, हमदर्दी जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी (जनसेवक), क्रांतिकारी साम्यवादी पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, लोक आवाज दल, लोकतांत्रिक समता दल, नेशनल जनता पार्टी (इंडियन), राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी, और व्यावसायिक किसान अल्पसंख्यक मोर्चा।
इन राजनीतिक दलों में से अनेक ऐसे हैं जो केवल कागज़ी स्तर पर अस्तित्व में हैं और पिछले कई वर्षों से इन्होंने चुनावी प्रक्रिया में कोई भागीदारी नहीं दिखाई है। निर्वाचन आयोग का यह निर्णय राजनीतिक प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है। यह सूचना बिहार मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, जहां नागरिक इन दलों की स्थिति और प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। संबंधित दलों से अपेक्षा की जा रही है कि वे तय समयसीमा के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करें, अन्यथा उन्हें डीलिस्ट किया जा सकता है।