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गुजरात बीजेपी के संगठन में बदलाव की तैयारी

गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को केंद्र में मंत्री बनाया गया है, अब राजनीतिक गलियारों में इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि गुजरात बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष किसे बनाया जा सकता है; वहीं प्रदेश बीजेपी नेतृत्व में क्षत्रिय, ओबीसी और एसटी चेहरों को लेकर मंथन शुरू हो गया है। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होने तक रजनी पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने की संभावना है।

बीजेपी के सामने क्षत्रिय आंदोलन को शांत करने की भी चुनौती है

लोकसभा चुनाव के समय राज्य में उठे क्षत्रिय आंदोलन से गुजरात में बीजेपी को कोई खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन खुद बीजेपी नेतृत्व का मानना ​​है कि इससे बीजेपी को राजस्थान समेत अन्य राज्यों में खासा नुकसान हुआ हैं। भाजपा नेतृत्व भले ही प्रदेश अध्यक्ष का पद क्षत्रिय समाज को न दे, लेकिन यह देखा जा रहा है कि संगठन के अन्य पदों पर क्षत्रिय समाज को बड़े पैमाने में जगह देनी होगी।

ओबीसी या आदिवासियों समीकरण साधने का प्रयास:

अगर ओबीसी समुदाय से प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार हुआ तो मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी, प्रदेश मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, वडोदरा के पूर्व मेयर भरत डांगर या ओबीसी मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष दिनेश अनावाडिया को जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं, अगर बीजेपी आदिवासी समीकरण पर विचार करती है तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गणपत वसावा और पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेश पटेल को भी आगे किया जा सकता है।

नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने होगी स्थानीय स्वराज चुनाव में दबदबा कायम रखने की चुनौती!

स्थानीय स्वराज चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुलझने के बाद अब 2 जिला पंचायत, 17 तालुका पंचायत, 75 नगर पालिका, 6500 से अधिक ग्राम पंचायत और 30 तालुका और जिला पंचायत सीटों के लिए चुनाव की घोषणा की जा सकती है। ऐसे में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने स्थानीय चुनाव में बीजेपी का दबदबा कायम रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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