243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के चुनावी रण में एनडीए के दोनों प्रमुख दल—भाजपा और जदयू—ने उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही सामाजिक न्याय और समरसता का संतुलित संदेश देने की कोशिश की है। दोनों दलों ने 101-101 प्रत्याशी घोषित किए हैं, जिनकी सूची में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण का सूक्ष्म संतुलन साफ दिखाई देता है।
भाजपा-जदयू के हिस्से कुल 202 सीटों पर 99 पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग और 71 सवर्ण समुदाय से उम्मीदवार हैं, जबकि दलित और आदिवासी वर्ग को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया है। एनडीए के पांचों घटक दलों—भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास), हम (सेकुलर) और रालोमो—ने मिलकर कुल 35 महिला प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें भाजपा और जदयू की ओर से 13-13 महिलाएं, लोजपा (रा) से 6, हम से 2 और रालोमो से 1 महिला उम्मीदवार शामिल हैं।
जदयू की सोशल इंजीनियरिंग रणनीति
जदयू ने अपने 101 उम्मीदवारों में जातीय विविधता का गहन ध्यान रखा है। पार्टी ने पिछड़े, अतिपिछड़े और अत्यंत उपेक्षित वर्गों—जैसे अग्रहरि, बांसफोर और खरवार—से भी उम्मीदवार चुने हैं। कुल 37 पिछड़ा, 22 अति पिछड़ा, 22 सवर्ण, 15 दलित और एक आदिवासी प्रत्याशी हैं। अल्पसंख्यक समाज से चार उम्मीदवार—शगुफ्ता अजीम (अररिया), मंजर आलम (जोकीहाट), सबा जफर (अमौर) और जमा खान (चैनपुर) को भी टिकट दिया गया है।
जदयू ने पिछली बार 11 अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारे थे, जबकि इस बार संख्या घटाकर चार रखी गई है। पार्टी ने युवा चेहरे भी आगे बढ़ाए हैं—दो दर्जन से अधिक उम्मीदवार 40 वर्ष से कम उम्र के हैं। पुराने नेताओं मंजर आलम, गोपाल अग्रवाल, पूर्व सांसद बुलो मंडल और दुलाल चंद्र गोस्वामी को भी पुनः मौका दिया गया है।
भाजपा-जदयू में अनुभवी और युवा का संगम
भाजपा और जदयू की सूची में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले 12 उम्मीदवार हैं—भाजपा के 5 और जदयू के 7। सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार सुपौल से बिजेंद्र यादव (79 वर्ष) और सबसे युवा चेहरा अलीनगर की मैथिली ठाकुर (25 वर्ष) हैं।
एनडीए सहयोगी दलों का समीकरण
रालोमो के छह उम्मीदवारों की औसत आयु 54 वर्ष है, जिनमें सासाराम से स्नेहलता कुशवाहा (61 वर्ष) सबसे वरिष्ठ हैं। लोजपा (रा) की सूची में चार पासवान और चार भूमिहार समाज के उम्मीदवार हैं, जबकि राजपूत और यादव समुदाय से 5-5 को टिकट दिया गया है। हम (सेकुलर) ने 6 उम्मीदवारों में 4 महादलित और 2 भूमिहार प्रत्याशी उतारे हैं।
सामाजिक आधार का विस्तृत वितरण (अनुमानित प्रतिनिधित्व)
एनडीए के प्रत्याशियों की जातीय संरचना इस बार बेहद संतुलित दिखाई देती है। गठबंधन ने विभिन्न सामाजिक वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर व्यापक सामाजिक आधार साधने की कोशिश की है। उम्मीदवारों में सबसे अधिक संख्या कुशवाहा (13) और कुर्मी (12) समुदाय की है, जो एनडीए के पारंपरिक राजनीतिक स्तंभ माने जाते हैं। इनके बाद राजपूत (10) और भूमिहार (9) वर्ग के नेताओं को टिकट दिया गया है। वहीं धानुक (8) और यादव (8) प्रत्याशियों को शामिल कर पिछड़े और अति-पिछड़े वर्ग के संतुलन को बनाए रखने की कोशिश की गई है।
दलित समाज से मुसहर (5) और रविदास (5) समुदायों को प्रमुखता दी गई है, जबकि मल्लाह (3), पासी (2), गंगौता (2), कामत (2), चन्द्रवंशी (2), तेली (2), और कलवार (2) समाज को भी टिकट देकर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। सवर्ण वर्ग से ब्राह्मण (2) और कायस्थ (1) उम्मीदवारों को मौका दिया गया है।
इसके अलावा हलवाई (1), कानू (1), अग्रहरि (1), सुढ़ी (1), गोस्वामी (1), पासवान (1), धोबी (1), बांसफोर (1) और खरवार (1) जैसे छोटे परंतु सामाजिक रूप से विविध समुदायों को भी शामिल किया गया है। साथ ही, चार अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को टिकट देकर एनडीए ने अपने समावेशी सामाजिक न्याय मॉडल का संदेश दिया है।
एनडीए ने इस बार की उम्मीदवार सूची में सामाजिक विविधता और राजनीतिक व्यावहारिकता का ऐसा मिश्रण पेश किया है, जो एक ओर परंपरागत कोर वोटबैंक को साधता है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक समरसता और युवा प्रतिनिधित्व के जरिए नए संदेश भी देता है।