

उत्तराखंड के हरिद्वार में 2027 में होने वाले अर्धकुंभ की तिथियां आखिरकार तय हो गई हैं। यह भव्य आयोजन 14 जनवरी से शुरू होकर 20 अप्रैल तक चलेगा, जो कुल 97 दिनों की अवधि होगी। इस अर्धकुंभ की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक बात यह है कि इसमें पहली बार चार शाही अमृत स्नान सहित कुल 10 प्रमुख स्नान पर्व शामिल होंगे। कई दिनों से तिथियों को लेकर बनी असमंजस की स्थिति को खत्म करते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की, जिसमें सभी ने व्यवस्था और स्नान तिथियों पर अपनी सहमति जताई। संतों ने इस आयोजन को कुंभ की ही तरह दिव्य और भव्य रूप में आयोजित करने की उम्मीद जताई है, जिससे हरिद्वार में करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
भीड़ प्रबंधन, गंगा घाटों की क्षमता और मार्गों को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन सभी स्नान पर्वों के लिए विशेष तैयारियां करेगा, जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नए अस्थायी मार्ग और पार्किंग स्थल भी शामिल हैं। शाही अमृत स्नान की परंपरा 14वीं से 16वीं सदी के बीच शुरू हुई थी और यह साधु-संतों को सम्मान देने के लिए आयोजित किया जाता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संतों के सम्मान और राजशाही प्रतिष्ठा का प्रतीक भी है, जहां उन्हें प्रमुख तिथियों पर सबसे पहले स्नान करने का अवसर मिलता है। मेला 14 जनवरी 2027 से प्रारंभ होगा और 20 अप्रैल को आखिरी स्नान के साथ संपन्न होगा। इस दौरान सभी स्नान पर्व, सांस्कृतिक आयोजन और अखाड़ों की पारंपरिक शोभायात्राएं आयोजित होंगी।
अर्धकुंभ 2027 के प्रमुख स्नान पर्वों की शुरुआत 14 जनवरी 2027 को मकर संक्रांति के साथ होगी। इसके बाद, 6 फरवरी 2027 को मौनी अमावस्या, 11 फरवरी 2027 को बसंत पंचमी और 20 फरवरी 2027 को माघ पूर्णिमा के स्नान होंगे। इन सामान्य स्नानों के अतिरिक्त, पहली बार चार शाही अमृत स्नान आयोजित किए जाएंगे: पहला शाही स्नान 6 मार्च 2027 को महाशिवरात्रि पर, दूसरा शाही स्नान 8 मार्च 2027 को सोमवती/फाल्गुन अमावस्या पर, और तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल 2027 को मेष संक्रांति/वैशाखी के अवसर पर होगा। अर्धकुंभ का अंतिम और चौथा प्रमुख स्नान पर्व 20 अप्रैल 2027 को चैत्र पूर्णिमा के दिन संपन्न होगा। अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक तिथियों में 7 अप्रैल 2027 को नव संवत्सर और 15 अप्रैल 2027 को रामनवमी शामिल हैं।