केंद्र सरकार ने देश में कैब सेवाओं को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश-2025 में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। इन संशोधनों का मुख्य केंद्र महिला यात्रियों की सुरक्षा और ड्राइवरों के कल्याण को बढ़ावा देना है। सरकार के इस फैसले से विशेष रूप से मेट्रो शहरों में रहने वाली महिलाओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जो रात के समय आवाजाही के लिए निजी कैब सेवाओं पर निर्भर रहती हैं।
नए नियमों के अनुसार, अब सभी ऐप-आधारित कैब कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर एक विशेष विकल्प जोड़ना होगा। इस विकल्प के माध्यम से महिला यात्री बुकिंग के दौरान अपनी पसंद से महिला ड्राइवर का चयन कर सकेंगी। हालांकि, यह सेवा पूरी तरह से भौगोलिक उपलब्धता पर निर्भर करेगी, यानी यात्री को महिला ड्राइवर तभी मिल सकेगी जब संबंधित इलाके में ऐसी चालक मौजूद होंगी। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में, जहाँ कैब सेवा सार्वजनिक परिवहन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है, वहाँ यह कदम सुरक्षा के लिहाज से गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
सुरक्षा के साथ-साथ सरकार ने सेवा की गुणवत्ता और ड्राइवरों के प्रोत्साहन के लिए 'टिप' देने की प्रक्रिया में भी स्पष्ट बदलाव किए हैं। अब कोई भी यात्री अपनी यात्रा पूरी होने के बाद ही ड्राइवर को टिप दे सकेगा। बुकिंग के समय या यात्रा के दौरान टिप देने का विकल्प उपलब्ध नहीं होगा, ताकि सेवा की निष्पक्षता बनी रहे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यात्री द्वारा दी गई टिप की पूरी राशि सीधे ड्राइवर को मिलेगी और कैब कंपनियां इसमें से कोई हिस्सा नहीं काट सकेंगी।
वर्तमान में मंत्रालय ने इन नियमों को लागू करने के लिए सभी राज्यों को निर्देश भेज दिए हैं। यद्यपि इन बदलावों को जमीन पर उतारने के लिए अभी कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की गई है, लेकिन जुलाई 2025 में जारी मूल दिशानिर्देशों के अनुभव को देखते हुए माना जा रहा है कि जल्द ही सभी एग्रीगेटर इसे अपना लेंगे। यह पहल न केवल महिलाओं के लिए सुरक्षित सफर सुनिश्चित करेगी, बल्कि परिवहन क्षेत्र में महिला रोजगार को भी प्रोत्साहित करने वाली साबित होगी।