आज के डिजिटल युग में, जहां तकनीक ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं यह अपराधियों के लिए भी नए रास्ते खोल रही है। हाल ही में, एक नया साइबर अपराध सामने आया है, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जा रहा है। यह अपराध इतना चालाकी से किया जाता है कि कई बार पीड़ित को पता भी नहीं चलता कि वह ठगी का शिकार हो रहा है। और इसमें पढ़े-लिखे लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह ‘डिजिटल अरेस्ट’ है क्या? दरअसल, भारतीय कानून में ऐसी कोई चीज़ नहीं है। यह महज एक धोखाधड़ी का तरीका है, जिसमें अपराधी लोगों को डरा-धमकाकर पैसे ऐंठते हैं।
इस स्कैम में ठग वीडियो कॉल के जरिए शिकार को फंसाते हैं। वे खुद को असली पुलिस या सरकारी अधिकारी साबित करने के लिए फर्जी यूनिफॉर्म और आईडी कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। कभी-कभी तो वे पूरा सरकारी दफ्तर का माहौल भी बना लेते हैं। फिर वे अपने शिकार को बताते हैं कि उसके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जैसे ड्रग्स की तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग। वे धमकी देते हैं कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो गिरफ्तारी हो सकती है। इस डर से लोग उनकी हर बात मानने लगते हैं।
ठग फिर कहते हैं कि मामले की जांच के लिए पैसे ट्रांसफर करने होंगे। डर से लोग लाखों-करोड़ों रुपये उनके बताए गए अकाउंट में भेज देते हैं। एक बार पैसा ट्रांसफर हो जाने के बाद ठग गायब हो जाते हैं।
पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस साल की शुरुआत में ही भारतीयों ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए 120 करोड़ रुपये से ज्यादा गंवा दिए हैं।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अपराध में ज्यादातर अपराधी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में रहते हैं। वे अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके लोगों को ठगते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है और भुवनेश्वर में हुई पुलिस अफसरों की बड़ी मीटिंग में प्रधानमंत्री ने कई अहम मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि डिजिटल फ्रॉड और साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं, साथ ही AI टेक्नोलॉजी से भी नए खतरे पैदा हो रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ने पुलिस वालों को हिम्मत दी कि वो इन चुनौतियों को मौके में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को नए जमाने की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। AI जैसी नई टेक्नोलॉजी का फायदा उठाकर पुलिस अपना काम और बेहतर कर सकती है। साथ ही लोगो को कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन तरीके से पूछताछ नहीं करती है। अगर आपको भी ऐसा कोई संदिग्ध कॉल आता है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। 1930 नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
याद रखें, सतर्कता ही सुरक्षा है। अपने व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रखें और किसी अनजान व्यक्ति पर भरोसा न करें। डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए हमेशा सावधान रहें।