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जननायक कर्पूरी ठाकुर का भारत रत्न पुरस्कार से सम्मान

पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत केंद्र सरकार ने  भारत रत्न पुरस्कार  देकर सम्मानित करने  का ऐलान किया। 2019 में केंद्र सरकार ने भूपेन हजारिका को भारत रत्न से पुरस्कृत किया था , इस बार  कर्पूरी ठाकुर को आठवें भारत रत्न की उपाधि से नवाजा जाएगा।

कर्पूरी ठाकुर को  पिछड़े वर्गों के हितों के काम करने के लिए जाना जाता हैं। कर्पूरी ठाकुर जी भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ व बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और  दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।1970 में पहली बार और 1977 में दूसरी बार  कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने । इनका पहला कार्यकाल महज 163 दिन का रहा।

बिहार के समस्तीपुर जिले के कर्पूरी गांव (पितौंझियां) में कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को हुआ और 17 फरवरी 1988 में निधन हुआ। कर्पूरी ठाकुर के पिता श्री गोकुल ठाकुर गांव के सीमान्त किसान थे व पारंपरिक पेशा बाल काटने का काम करते थे और उनकी माता जी श्रीमती रामदुलारी देवी गृहणी थी।

बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का एक अहम भूमिका हैं । सभी राजनीतिक दलों के नेता कर्पूरी ठाकुर को अपना गुरु मानते हैं। इन्होने राज्य में मैट्रिक तक निशुल्क पढ़ाई की सुविधा दी और सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य किया। इनके नाम पर राज्य के पिछड़े क्षेत्रों  में कई स्कूल-कॉलेज खोले गए।

इन्होने पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए काम किया था।अपने कार्यकाल में गरीबों, पिछड़ों ,अति पिछड़ों के अधिकारों के लिए काम किए, जिससे बिहार में एक परिवर्तन देखने को मिला।

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