देश में प्रस्तावित अगली जनगणना के लिए उत्तर प्रदेश में आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के सीमांकन को नए सिरे से परिभाषित करना है। इसके लिए, दोनों क्षेत्रों का दायरा तय करते हुए एक नया नक़्शा तैयार किया जाएगा, जिसका उद्देश्य वास्तविक विकास और विस्तार को दर्शाना है।
शहरी क्षेत्रों का नक़्शा तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को सौंपी गई है। इन निकायों को उन सभी नए क्षेत्रों को चिह्नित करना होगा जो वर्ष 2011 की पिछली जनगणना के बाद शहरी सीमा के अंतर्गत आए हैं। इसमें विशेष रूप से ऐसे स्थानों की पहचान की जाएगी जैसे कि नए स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, और विभिन्न प्रतिष्ठान, जो अब शहरी परिधि का हिस्सा बन चुके हैं। स्थानीय निकाय निदेशक अनुज कुमार झा ने इस संबंध में सभी निकायों के साथ-साथ जिलाधिकारियों को भी विस्तृत निर्देश जारी किए हैं।
जनगणना से पूर्व नगरीय निकायों के विस्तारित क्षेत्रों की पहचान करना प्राथमिकता है। इसके तहत यह देखा जाएगा कि 2011 के बाद शहरी दायरा कितना बढ़ा है। निकायों से सटे हुए सभी राजस्व गांवों के साथ ही 'वाह्य वृद्धि' वाले क्षेत्रों को भी पहचान कर चिह्नित किया जाएगा। सभी निकायों और जिलों को इन प्रस्तावों की स्थलीय जांच करनी होगी और सभी आवश्यक कागजात के साथ उसे 20 दिसंबर तक निदेशालय को उपलब्ध कराना होगा। प्रस्ताव में यह जानकारी स्पष्ट रूप से देनी होगी कि उनके वृद्धि वाले क्षेत्रों में कितने शिक्षण संस्थान और अन्य संस्थान स्थापित हुए हैं और शहर का मौजूदा दायरा कितना है। निकायों से प्राप्त होने वाली इस व्यापक सूचना के आधार पर पूरी जानकारी जनगणना निदेशालय को सौंपी जाएगी, जो आगामी जनगणना की रूपरेखा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।