Economy

सेब उत्पादकों के लिए केंद्र की अहम पहल

सेब के आयात मूल्य में वृद्धि से विदेशी प्रतिस्पर्धा पर लगेगी लगाम, देश के बागवानों को मिलेगा सीधा लाभ।

देश के प्रमुख सेब उत्पादक राज्यों — हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर — के किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। 3 जून 2025 को सेब के आयात पर न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) ₹50 से बढ़ाकर ₹80 प्रति किलो कर दिया गया। यह नीति केंद्रीय कृषि मंत्री की मंजूरी के बाद लागू हुई, जिसका मकसद विदेशों से आने वाले सेबों की बढ़ती आपूर्ति को नियंत्रित करना और देश के बागवानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।"

हिमाचल प्रदेश भाजपा प्रवक्ता चेतन सिंह बरागटा ने शिमला में इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम केंद्र सरकार की किसान हितैषी सोच और आत्मनिर्भरता की नीति का हिस्सा है। उन्होंने इसे दूरदर्शी और साहसिक बताते हुए कहा कि अब स्थानीय उत्पादकों को बाज़ार में बेहतर दाम मिलने की संभावना है।

भारत में हर साल लगभग 25 लाख मीट्रिक टन से अधिक सेब का उत्पादन होता है, जिसमें हिमाचल प्रदेश और कश्मीर घाटी की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। विदेशी सेबों, खासकर अमेरिका, ईरान और न्यूजीलैंड से आयातित सेब, पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय किसानों को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे थे। ऐसे में MIP में वृद्धि से यह आयात महंगा होगा और घरेलू सेब की मांग बढ़ेगी।

MIP एक ऐसा तंत्र है जो तय करता है कि किसी उत्पाद को विदेश से भारत में लाने के लिए न्यूनतम कीमत क्या होगी। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बेहद सस्ते, कम गुणवत्ता वाले विदेशी उत्पाद घरेलू बाजार में बाढ़ की तरह न आएं और स्थानीय उत्पादक नुकसान में न जाएं।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता चेतन सिंह बरागटा ने यह भी बताया कि वर्ष 2018 से अब तक चीन से एक भी किलो सेब का आयात नहीं हुआ है, जो केंद्र की स्पष्ट और सख्त नीतियों का नतीजा है। इससे स्थानीय बागवानी क्षेत्र को बल मिला है और 'वोकल फॉर लोकल' को प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब केंद्र सरकार बागवानों के लिए ऐसे निर्णायक फैसले ले रही है, तब राज्य सरकारों को भी चाहिए कि वे किसानों और बागवानों की सुविधा के लिए जमीनी स्तर पर ठोस पहल करें।

यह निर्णय केवल कृषि क्षेत्र को मजबूत नहीं करता, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इससे बागवानों का विश्वास बढ़ेगा, और सेब उत्पादन में नए निवेश और आधुनिक तकनीकों के लिए रास्ते खुलेंगे। यह साफ़ तौर पर दर्शाता है कि केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने, उनके हितों की रक्षा करने और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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