नई अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली योजनाओं को स्वीकृति

केंद्र सरकार ने राजस्थान तथा कर्नाटक से 4.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा निकासी के लिए 13,595 करोड़ रूपए की नवीन पारेषण योजनाओं को स्वीकृति दी।
नई अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली योजनाओं को स्वीकृति
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राजस्थान तथा कर्नाटक से 9 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)  निकासी के लिए भारत सरकार (Govt., of India)  ने 13,595 करोड़ रूपए  की नई अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली (Inter State Transmission System)  को स्वीकृति दी। इन योजनाओं को टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (Tariff Based Competitive Bidding) मोड के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। यह सभी योजनाएं वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का अभिन्न भाग हैं। वहीं इन योजनाओं (Schemes) में  200 गीगावाट ऊर्जा पहले से ही जुड़ी हुई है। इन योजनाओं (Schemes) का प्रमुख उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) में वृद्धि व प्रभावी तरीके से इसका स्थानांतरण (Transfer) करना हैं। इससे ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा , साथ ही यह पर्यावरण संरक्षण (Environment Protection)में  सहायक सिद्ध होंगी।

अनुमोदित योजनाओं का  विवरण

राजस्थान (Rajasthan) से 4.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा ((Renewable Energy) की निकासी अब राजस्थान अक्षय ऊर्जा क्षेत्र (आरईजेड) की बिजली निकासी योजना के माध्यम से होगी। इनमें नागौर (मेड़ता) परिसर से 1 गीगावाट, बाड़मेर परिसर से 2.5 गीगावाट, फतेहगढ़ परिसर से 1 गीगावाट बिजली निकासी शामिल है। यह बिजली उत्तर प्रदेश के मैनपुरी क्षेत्र, फतेहपुर ,उरई को स्थानांतरित की जाएगी। इस योजना को क्रियान्वित करने की अवधि दो वर्ष हैं। वहीं इसकी लागत लगभग 12,241 करोड़ रूपए है।

कर्नाटक की सिस्टम सुदृढ़ीकरण योजना (System strengthening scheme of Karnataka) गडग क्षेत्र व कोप्पल क्षेत्र से 4.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी करेगी। इस योजना के कार्यान्वयन की अवधि जून 2027 तक हैं। इसकी लागत लगभग 1,354 करोड़ रुपये रूपए है।

इससे पूर्व वर्ष 2023 में अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (INSTS) ) GEC-II योजना को सात राज्यों (गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान तमिलनाडु ,उत्तर प्रदेश) के माध्यम से क्रियान्वित किया गया है।

अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली (ISTS)  का अर्थ किसी भी प्रकार के ऊर्जा स्रोतों से उत्त्पन्न होने वाली बिजली (Electricity) को  ग्रिड ट्रांसमिशन लाइनों के जरिये राज्य की सीमाओं के पार ले जाना है। वर्ष 2030 तक  भारत देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन  (Non-Fossil Fuel) आधारित ऊर्जा बिजली की भागेदारी को कम से कम 40% या 500 गीगावाट तक बढ़ोत्तरी का लक्ष्य निर्धारित किया है।

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