
भाजपा द्वारा 6 जुलाई को पटना में माली-मालाकार सम्मेलन आयोजित जा रहा हैं। सम्मेलन के जरिए भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है, और माली समाज को भी इसमें शामिल किया गया है।
बिहार की राजनीति में विभिन्न समाजों की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। इसी कड़ी में माली समाज, जो पारंपरिक रूप से बागवानी और फूल बेचने जैसे कार्यों से जुड़ा रहा है, अब राजनीतिक रूप से भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। गांव से लेकर शहर तक सक्रिय माली समाज किसी भी कार्यक्रम को भव्य और दिव्य बनाने की क्षमता रखता है, और उनकी यह सक्रियता वर्तमान में एनडीए के साथ स्पष्ट रूप से दिख रही है।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मजबूती में माली समाज के प्रमुख सदस्य शामिल हैं, जो उनकी बढ़ती राजनीतिक भागीदारी का स्पष्ट प्रमाण है। भाजपा ने राज्यभर में एक विशेष कार्यक्रम और जनसंवाद अभियान की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य पार्टी को जमीनी स्तर पर और मजबूत बनाना है। माली जाति के लोग बिहार के सभी जिलों में रहते हैं, हालांकि मधुबनी जिले में उनकी संख्या सर्वाधिक है। यह भौगोलिक फैलाव उनकी राजनीतिक उपस्थिति को और भी प्रासंगिक बनाता है।
आगामी 6 जुलाई को पटना में होने वाला माली-मालाकार सम्मेलन इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सम्मेलन में बिहार के सभी जिलों से हजारों की संख्या में माली समाज के लोग शामिल होंगे, जिससे उनकी एकजुटता और राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन होगा। सम्मेलन में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल, भाजपा बिहार प्रभारी विनोद तावड़े सहित कई गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाएगा, जो इस आयोजन की महत्ता को दर्शाता है। सम्मेलन से पूर्व जिलों में भी बैठकों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि इसकी सफलता सुनिश्चित की जा सके।
भाजपा ने यह स्पष्ट किया है कि वह माली समाज की चिंताओं को गंभीरता से लेगी और सत्ता तथा संगठन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। यह एक महत्वपूर्ण वादा है, खासकर बिहार जैसे राज्य में जहां अतिपिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा रहा है। एनडीए सरकार द्वारा अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के काम का नतीजा है कि आज बिहार में कई जिला पार्षद, मुखिया, उपमुखिया, प्रमुख और सरपंच माली समाज से हैं। यह जमीनी स्तर पर उनकी बढ़ती हुई राजनीतिक पहुंच और प्रभाव को दर्शाता है।
माली समाज की यह बढ़ती सक्रियता और भाजपा के साथ उनका जुड़ाव महत्वपूर्ण है। माली समाज की चिंता और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने का भाजपा का वादा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका को निर्णायक बना सकता है।