
बिहार विधानमंडल का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र 21 जुलाई, सोमवार से आरंभ होने जा रहा है। संसदीय कार्य विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, इस सत्र में कुल पांच बैठकें निर्धारित की गई हैं, जो राज्य के विधायी और वित्तीय एजेंडे के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। यह सत्र राज्य के मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में कई अहम मुद्दों पर चर्चा और निर्णय का गवाह बनेगा।
सत्र के पहले दिन, यानी 21 जुलाई को, विधायी प्रक्रियाओं की शुरुआत होगी। इस दिन राज्यपाल द्वारा विधानमंडल के सत्र में अनुपस्थिति की अवधि में प्रख्यापित अध्यादेशों की प्रमाणित प्रतियां सदन पटल पर रखी जाएंगी। यह प्रक्रिया संवैधानिक आवश्यकता है, जिसके तहत राज्यपाल द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों को विधानमंडल के समक्ष रखा जाता है। इसके अतिरिक्त, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण भी प्रस्तुत किया जाएगा। यदि आवश्यक हुआ तो सदन शोक प्रकाश के माध्यम से दिवंगत हस्तियों को श्रद्धांजलि भी अर्पित करेगा।
महत्वपूर्ण विधायी कार्य और वित्तीय मुद्दे
सत्र के दौरान 22 और 23 जुलाई को राजकीय विधेयक और अन्य राजकीय कार्यों पर गहन चर्चा होगी। इन दिनों में विभिन्न सरकारी विधेयकों को पेश किया जाएगा, जिन पर माननीय सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा और आवश्यकतानुसार उन्हें पारित करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
गुरुवार, 24 जुलाई का दिन विशेष रूप से वित्तीय मामलों के लिए आरक्षित किया गया है। इस दिन वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रथम अनुपूरक व्यय विवरण पर विस्तार से वाद-विवाद होगा। इसके बाद, मतदान और उससे संबंधित विनियोग विधेयक पर निर्णय लिया जाएगा। यह राज्य के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय प्रावधानों को मंजूरी देने के लिए महत्वपूर्ण है।
गैर-सरकारी सदस्यों का योगदान
मानसून सत्र का अंतिम दिन, शुक्रवार 25 जुलाई, गैर-सरकारी सदस्यों के कार्य के लिए समर्पित होगा। इस दिन गैर-सरकारी संकल्पों पर चर्चा की जाएगी। यह सदस्यों को ऐसे मुद्दों को उठाने का अवसर प्रदान करता है जो सरकार के सीधे एजेंडे में नहीं होते, लेकिन जनहित में महत्वपूर्ण होते हैं। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विपक्ष और अन्य सदस्यों की भूमिका को मजबूत करता है।
सत्र का महत्व और अपेक्षित चर्चाएं
यह मानसून सत्र बिहार के राजनीतिक और प्रशासनिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राज्य में मौजूदा राजनीतिक स्थिति, विकास परियोजनाएं, कानून-व्यवस्था, और अन्य जनहित के मुद्दों पर इस सत्र में व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है। मानसून सत्र अक्सर सरकार और विपक्ष के बीच गरमागरम बहस का मंच बनता है, जहां सरकार अपनी उपलब्धियों को उजागर करती है, और विपक्ष सरकार की नीतियों और प्रदर्शन पर सवाल उठाता है। आगामी सत्र राज्य की प्रगति और जनता की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाला होगा।