आगामी 17 जून को पटना में पूर्वी भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा मंत्रियों का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस बैठक में बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऊर्जा मंत्री हिस्सा लेंगे। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को इस सम्मेलन में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण भेजा है। बिहार के ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह भी इस महत्वपूर्ण आयोजन में उपस्थित रहेंगे।
केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे सम्मेलन विभिन्न विद्युत क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से आयोजित किए जाते रहे हैं। मंत्रालय का मानना है कि क्षेत्रीय सम्मेलन स्थानीय चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने और उनके समाधान खोजने में मदद करते हैं। इस बार पूर्वी क्षेत्र के लिए यह सम्मेलन पटना में हो रहा है, जिसकी जिम्मेदारी एनटीपीसी को सौंपी गई है।
सम्मेलन में इन मुख्य विषयों पर चर्चा होगी:-
संसाधन पर्याप्तता: 2030 तक विद्युत क्षमता की उपलब्धता और उससे संबंधित टाई-अप।
अंतर्राज्यीय पारेषण परियोजनाएं: 2030 तक अंतर-राज्यीय बिजली ट्रांसमिशन परियोजनाओं की क्षमता और उनके टाई-अप।
साइबर सुरक्षा पहलू: विद्युत प्रणाली में साइबर हमलों से निपटने की तैयारी और सुरक्षा उपाय।
विद्युत प्रणाली में द्वीप योजनाएं: ग्रिड से कटे या अलग-थलग क्षेत्रों के लिए बिजली आपूर्ति की योजनाएं।
ट्रांसमिशन सिस्टम की आपातकालीन बहाली: बिजली पारेषण प्रणाली में किसी भी आपात स्थिति में तेजी से बहाली के उपाय।
वितरण कंपनियों की वित्तीय व्यवहार्यता: बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की वित्तीय स्थिति और उन्हें मजबूत करने के तरीके।
फ्रेजर रोड स्थित एक होटल में सुबह 10 बजे से शुरू होने वाले इस सम्मेलन में केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज कुमार अग्रवाल स्वागत भाषण देंगे। इसके बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का संबोधन होगा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद 2030 तक बिजली की खपत और राज्यों के टाई-अप पर एक विस्तृत प्रस्तुति देंगे। ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव डी. साई बाबा अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन पर अपने विचार रखेंगे, जबकि आर.पी. प्रधान साइबर सुरक्षा पर बात करेंगे। वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर संयुक्त सचिव शशांक मिश्रा अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। इन सत्रों के बाद बिहार सहित अन्य राज्यों के ऊर्जा मंत्री अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे।
यह सम्मेलन पूर्वी भारत के राज्यों के बीच बिजली क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।