बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले, सत्ताधारी एनडीए गठबंधन की सरकार ने उन समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं को विभिन्न बोर्डों और आयोगों में समायोजित करना शुरू कर दिया है, जो ज़मीनी स्तर पर अपनी मजबूत पहचान रखते हैं। इस पहल का दोहरा लक्ष्य है पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्मानित करना और आगामी चुनाव में गठबंधन को मजबूत करना।
पिछले 16 महीनों से रिक्त पड़े इन बोर्डों-आयोगों का पुनर्गठन अब तेजी से हो रहा है। हाल ही में सवर्ण आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग और अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया है, जिसमें अनुभवी नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया है। सभी सदस्यों का तीन साल होगा कार्यकाल।
अनुसूचित जनजाति आयोग: इस आयोग में कुल 5 सदस्यों की नियुक्ति की गई। इसमें शैलेंद्र कुमार को अध्यक्ष, सुरेंद्र उरांव को उपाध्यक्ष बनाया गया। वहीं सदस्यों में प्रेमशिला गुप्ता, तल्लू बासकी, राजू कुमार को शामिल किया गया।
सवर्ण आयोग: सवर्ण जातियों के हितों की रक्षा के लिए गठित इस आयोग में भी 5 सदस्य शामिल हैं। इसमें महाचंद्र प्रसाद सिंह को अध्यक्ष, राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष व दयानंद राय, जय कृष्ण झा, राजकुमार सिंह को सदस्य बनाया गया।
अल्पसंख्यक आयोग: अल्पसंख्यकों के लिए गठित इस आयोग में कुल 11 सदस्य बनाए गए हैं, जिनमें अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष शामिल हैं। इसमें गुलाम रसूल बलियावी को अध्यक्ष, लखबिंदर सिंह और मौलाना उमर नूरानी को उपाध्यक्ष बनाया गया। अन्य सदस्यों में मुकेश कुमार जैन, अफरोजा खातून, अशरफ अली अंसारी, मो. शमशाद आलम (शमशाद साईं), तुफैल अहमद खान कादरी, शिशिर कुमार दास, राजेश कुमार जैन और अजफर शामशी को शामिल किया गया।
इन आयोगों का मुख्य काम संबंधित समुदायों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का मूल्यांकन करना, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करना और समस्याओं को सरकार के समक्ष रखना है। यह कदम सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
इन नियुक्तियों से कार्यकर्ताओं को सरकार का अंग बनने का मौका मिलेगा और उन्हें मंत्री के समकक्ष रुतबा, मानदेय और अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। ये नेता चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि पार्टी और गठबंधन के लिए चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ऊर्जा लगाएँगे। यह रणनीति एनडीए को चुनाव में एक मजबूत बढ़त दिला सकती है, क्योंकि यह न केवल उनके संगठनात्मक आधार को मजबूत करती है, बल्कि विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास भी पैदा करती है।