
भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में तीन महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर नई नियुक्तियों को मंजूरी दी है। इसके तहत लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बी. डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है और उनके स्थान पर भाजपा के वरिष्ठ नेता कविंदर गुप्ता को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। साथ ही, प्रो. अशीम कुमार घोष को हरियाणा का राज्यपाल तथा पुसापति अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल बनाया गया है। ये नियुक्तियां संबंधित पदाधिकारियों द्वारा कार्यभार संभालने की तिथि से प्रभावी होंगी।
लद्दाख को मिला नया नेतृत्व: कविंदर गुप्ता
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके कविंदर गुप्ता को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। कविंदर गुप्ता जम्मू के एक पुराने आरएसएस कार्यकर्ता रहे हैं और भाजपा के जमीनी संगठन में कई दशकों से सक्रिय हैं। उनकी नियुक्ति लद्दाख में भाजपा की पकड़ मजबूत करने और संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता लाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। कविंदर गुप्ता की प्रशासनिक पृष्ठभूमि और राष्ट्रीय राजनीति में अनुभव उन्हें लद्दाख जैसे रणनीतिक क्षेत्र में प्रभावशाली भूमिका निभाने में मदद करेगा।
हरियाणा को मिला शिक्षाविद राज्यपाल: प्रो. अशीम कुमार घोष
प्रो. अशीम कुमार घोष, एक प्रख्यात शिक्षाविद और विज्ञान व तकनीकी अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्ति हैं। वे देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित अकादमिक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं और शिक्षा नीति व नवाचार के पक्षधर माने जाते हैं। हरियाणा जैसे औद्योगिक और शैक्षणिक रूप से प्रगतिशील राज्य में उनकी नियुक्ति को राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक रूप से यह नियुक्ति एक तटस्थ और ज्ञान-आधारित नेतृत्व को बढ़ावा देने का संकेत देती है।
गोवा को मिला अनुभवी प्रशासक: पुसापति अशोक गजपति राजू
पुसापति अशोक गजपति राजू, जो कि आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम राजघराने से ताल्लुक रखते हैं, पूर्व में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। वे लंबे समय तक तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से जुड़े रहे, लेकिन हाल के वर्षों में वे भारतीय जनता पार्टी से भी सक्रिय रूप से संलग्न हैं। संसद और नीति-निर्माण में उनके गहरे अनुभव को देखते हुए उनकी नियुक्ति को भाजपा द्वारा गोवा में एक अनुभवी और तटस्थ प्रशासनिक चेहरा लाने की पहल माना जा रहा है। चूंकि गोवा अक्सर राजनीतिक अस्थिरता और दल-बदल की घटनाओं के लिए सुर्खियों में रहता है, ऐसे में पुसापति अशोक गजपति राजू जैसे वरिष्ठ और संतुलित नेता की उपस्थिति वहां स्थायित्व और संतुलन स्थापित कर सकती है।
इन तीनों नियुक्तियों से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार राज्यपाल और उपराज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के लिए अब राजनीतिक अनुभव, प्रशासनिक दक्षता, और क्षेत्रीय संतुलन को प्राथमिकता दे रही है। लद्दाख, हरियाणा और गोवा—तीनों ही क्षेत्र रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, और इन नई नियुक्तियों के माध्यम से केंद्र सरकार इन क्षेत्रों में अपने प्रशासनिक दृष्टिकोण को और सशक्त करना चाहती है।