
देश में इलाज को सस्ता और आम लोगों के लिए सुलभ बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने 35 आवश्यक दवाओं की कीमतों में भारी कटौती की घोषणा की है। इन दवाओं में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह (डायबिटीज), संक्रमण, कैंसर, बुखार और दर्द से जुड़ी जीवनरक्षक दवाएं शामिल हैं, जिनका उपयोग देशभर में लाखों मरीज रोजाना करते हैं।
इन दवाओं की कीमतों में कटौती फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा घोषित थोक मूल्य के आधार पर अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय कर लागू की गई है। इसके तहत अब एम्लोडिपीन (Amlodipine) जैसी हृदय रोग की आम दवा की कीमत 15.01 रुपये तय की गई है, जबकि एटोर्वास्टेटिन 40 मिलीग्राम की गोली अब 26.61 रुपये में उपलब्ध होगी। मधुमेह के उपचार में प्रयुक्त कुछ प्रमुख दवाओं की कीमत घटाकर लगभग 11.77 रुपये के आसपास कर दी गई है, जिससे मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी।
इन दवाओं के अलावा एनाफिलैक्सिस, हाइपरटेंशन, थायरॉइड डिसऑर्डर, कैंसर की थेरैपी में उपयोग होने वाली दवाएं, और संक्रमण से बचाव में दी जाने वाली ऐंटीबायोटिक्स की कीमतें भी अब नियंत्रित दायरे में रहेंगी। सरकार का दावा है कि इन फैसलों से मरीजों को सीधे तौर पर वित्तीय राहत मिलेगी और गुणवत्तापूर्ण दवाएं सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगी।
प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया है कि दवा कंपनियां निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर इन दवाओं को बेच नहीं सकेंगी और नियमों का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ये दवाएं ‘अनिवार्य वस्तु अधिनियम 1955’ के तहत आने वाले ‘ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013’ में शामिल हैं, जिनकी कीमत पर सरकार सीधा नियंत्रण रखती है।
सरकार की इस पहल को गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए राहतकारी कदम माना जा रहा है, जो महंगी दवाओं के कारण इलाज में असमर्थ हो जाते हैं। यह निर्णय जनऔषधि केंद्रों के समानांतर अब प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स पर भी सस्ती दवाएं सुनिश्चित करेगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उपभोक्ता संगठनों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे 'स्वास्थ्य के अधिकार' की दिशा में सकारात्मक पहल बताया है।
इस कदम से न केवल मरीजों का बोझ कम होगा, बल्कि चिकित्सा सेवाओं में भरोसा भी बढ़ेगा। उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी आवश्यक दवाओं को इस मूल्य नियंत्रण सूची में शामिल किया जाएगा।