

उत्तर प्रदेश की राजनीति और शासन व्यवस्था के लिहाज से आगामी कुछ दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं, क्योंकि प्रदेश सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे करने की दहलीज पर खड़ी है। इसी पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, जिसका विस्तृत कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर जारी कर दिया गया है। यह सत्र न केवल आगामी वित्तीय योजनाओं को गति देने वाला होगा, बल्कि इसमें कई दूरगामी प्रभाव वाले विधायी कार्यों को भी संपन्न किया जाएगा। सरकार की तैयारी और सदन की कार्यवाहियों का सीधा असर आने वाले महीनों में प्रदेश के विकास और प्रशासनिक ढांचे पर दिखाई देगा।
सत्र की शुरुआत एक भावुक क्षण के साथ होगी, जहां पहले दिन शुक्रवार को घोसी से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे स्वर्गीय सुधाकर सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। संसदीय परंपराओं का निर्वहन करते हुए सदन की कार्यवाही शोकसभा के बाद स्थगित कर दी जाएगी। इसके पश्चात शनिवार और रविवार के अवकाश के कारण सदन में कोई कामकाज नहीं होगा। वास्तविक विधायी प्रक्रिया सोमवार 22 दिसंबर से गति पकड़ेगी, जब योगी सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपना अनुपूरक बजट सदन के पटल पर रखेगी। यह बजट सरकार की उन प्राथमिकताओं को स्पष्ट करेगा जिन्हें कार्यकाल के नौ वर्ष पूर्ण होने से पहले पूरा किया जाना है।
सत्र के अंतिम दिनों में विधायी कार्यों की सघनता और बढ़ जाएगी। 23 दिसंबर को विभिन्न विधायी कार्यों को निपटाने के बाद, 24 दिसंबर का दिन सबसे महत्वपूर्ण होगा। इस दिन अनुपूरक बजट पर विस्तृत चर्चा के साथ-साथ सरकार आठ प्रमुख अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पारित कराने के लिए सदन में पेश करेगी। इन विधेयकों में शिक्षा, व्यापार और नगरीय प्रशासन से जुड़े महत्वपूर्ण संशोधन शामिल हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग संशोधन, नगर निगम संशोधन और निजी विश्वविद्यालयों से संबंधित तीन अलग-अलग संशोधनों पर सबकी नजर रहेगी। इसके अलावा, पेंशन हकदारी और सुगम्य व्यापार जैसे विधेयक भी चर्चा का केंद्र बनेंगे, जो प्रदेश की कार्यसंस्कृति को नया स्वरूप देने का प्रयास करेंगे।