

उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मतदान केंद्रों के निर्धारण के पुराने मानकों को बदल दिया है। अब तक प्रदेश में 1500 मतदाताओं पर एक मतदेय स्थल (पोलिंग बूथ) बनाने की व्यवस्था थी, जिसे घटाकर अब 1200 मतदाता कर दिया गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में इस नए मानक के आधार पर बूथों का पुनर्गठन किया गया है। इस बदलाव से प्रदेश में मतदेय स्थलों की संख्या में 15,030 की भारी वृद्धि हुई है, जिससे कुल बूथों की संख्या 1,62,486 से बढ़कर अब 1,77,516 हो गई है। आयोग का मानना है कि इस कदम से मतदान केंद्रों पर भीड़ कम होगी और आम जनता को वोट डालने में काफी सहूलियत मिलेगी।
मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान की समय-सीमा में भी बदलाव किया गया है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन बुधवार, 31 दिसंबर को होना था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 6 जनवरी 2026 कर दिया गया है। नई समय-सारणी के अनुसार, 6 जनवरी से 6 फरवरी के बीच नागरिक अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। इसके बाद 27 फरवरी तक सभी शिकायतों का निस्तारण कर स्थिति स्पष्ट की जाएगी और अंततः 6 मार्च 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन कार्य में लगे डीएम, एडीएम और एसडीएम स्तर के अधिकारियों के तबादलों पर भी 6 मार्च तक पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
सूची के शुद्धिकरण के दौरान इस बार बड़े स्तर पर नामों को हटाया गया है। पहले उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची में करीब 15.44 करोड़ नाम दर्ज थे, लेकिन सघन जांच के बाद मृत, स्थानांतरित और अनुपस्थित पाए गए लगभग 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से बाहर कर दिए गए हैं। अब 6 जनवरी को जारी होने वाली ड्राफ्ट सूची में प्रदेश के लगभग 12.55 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल होंगे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि विधानसभा चुनाव में अभी पर्याप्त समय है, इसलिए प्रशासन चाहता है कि मतदाता सूची पूरी तरह त्रुटिहीन बने और किसी भी पात्र नागरिक को मतदान करने में कोई कठिनाई न हो।