
भारत सरकार ने राष्ट्रीय जनगणना-2027 को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें इस बार जातियों की गणना को भी शामिल किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा सकती है। इस बारे में आधिकारिक सूचना 16 जून 2025 को प्रकाशित की जाएगी।
1 मार्च 2027 से जनगणना का काम शुरू
जनगणना 2027 के लिए मुख्य संदर्भ तारीख 1 मार्च 2027 को ठीक आधी रात निर्धारित की गई है। हालांकि , कुछ विशेष भौगोलिक प्रदेशों के लिए यह तारीख अलग होगी।केंद्र शासित प्रदेशों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से ढके (गैर-समकालिक) क्षेत्रों के लिए जनगणना की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 को आधी रात (12:00 बजे) निर्धारित की गई है। इन प्रदेशों में जनगणना का काम बाकी राज्यों से थोड़ा पहले शुरू हो सकता है, शायद सितंबर 2026 में। देश के बाकी हिस्सों में यह काम फरवरी 2027 में शुरू होने की उम्मीद है।
कानूनी आधार और पिछली जनगणना का अनुभव
भारत में जनगणना का काम जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के तहत होता है। पिछली जनगणना, जो 2011 में हुई थी, वह भी दो चरणों में पूरी हुई थी।
इसके पहले चरण में 'हाउस लिस्टिंग' (घरों की जानकारी जुटाना) 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2010 तक चला। वहीं, दूसरे चरण में 'जनसंख्या की गणना' 9 फरवरी से 28 फरवरी 2011 तक पूरी हुई। उस समय मुख्य तारीख 1 मार्च 2011 थी। जबकि, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बर्फीले क्षेत्रों के लिए यह तारीख 1 अक्टूबर 2010 तय की गई थी।
स्थगित हुई थी जनगणना 2021: कोविड-19 का प्रभाव
वास्तव में, 2021 की जनगणना भी दो चरणों में कराने की योजना थी। इसका पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में प्रस्तावित था। 2021 में होने वाली जनगणना के पहले चरण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, और 1 अप्रैल 2020 से कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जमीनी कार्य शुरू होने वाला था। मगर, पूरे देश में कोविड-19 महामारी फैलने के कारण, जनगणना का काम रोकना पड़ा था।
अब, 2027 की जनगणना एक बार फिर राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा करने का मौका देगी। इसमें जातिगत आंकड़ों को शामिल करने से सामाजिक विकास योजनाओं को एक नई दिशा मिल सकती है।