

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आगामी 19 से 21 जनवरी तक संसदीय लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण समागम की साक्षी बनने जा रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं को सशक्त करने के ध्येय से आयोजित होने वाले 86वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की मेजबानी इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा को सौंपी गई है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस गरिमामयी आयोजन की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन 19 जनवरी को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष उपस्थिति रहेगी। सम्मेलन के समापन सत्र को 21 जनवरी को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल संबोधित करेंगी। इस कार्यक्रम में देशभर की विधानसभाओं, विधान परिषदों और संसद के पीठासीन अधिकारी जुटेंगे, जो विधायी अनुशासन, सदन की कार्यवाही में सुधार और डिजिटल उपकरणों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभावी उपयोग पर मंथन करेंगे।
यह सम्मेलन न केवल उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का विषय है, बल्कि यह संसदीय कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। चर्चा के मुख्य विषयों में सदन संचालन की आधुनिक तकनीकों और संसदीय परंपराओं के समन्वय पर विशेष जोर दिया जाएगा। आयोजन के साथ-साथ 19 जनवरी से पूर्व मीडियाकर्मियों के लिए संसदीय पत्रकारिता पर एक विशेष सत्र भी आयोजित करने की योजना है। इस ऐतिहासिक अवसर का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पक्ष यह भी है कि सम्मेलन के समापन के अगले दिन, यानी 22 जनवरी को, सभी आगंतुक पीठासीन अधिकारी अयोध्या में रामलला के दर्शन करेंगे। विशेष बात यह है कि इसी दिन श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दो वर्ष भी पूर्ण हो रहे हैं। हालिया शीतकालीन सत्र की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी साझा किया कि इस बार सदन में पहली बार पूर्ण वंदे मातरम् गान के साथ सकारात्मक चर्चा का सुखद अनुभव रहा, जो संसदीय गौरव की निरंतरता को दर्शाता है।