डाक सेवा में डिजिटल क्रांति

डाक सेवा में डिजिटल क्रांति

भारतीय डाक अब 24 से 48 घंटों में गारंटीड डिलीवरी और रिफंड की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए तैयार है।
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भारतीय डाक विभाग अपने पारंपरिक स्वरूप को त्यागकर एक आधुनिक और प्रतिस्पर्धी 'प्रॉफिट सेंटर' बनने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। जनवरी 2026 से विभाग एक ऐसी क्रांतिकारी सेवा शुरू करने जा रहा है, जो न केवल डाक वितरण की गति बढ़ाएगी बल्कि ग्राहकों के भरोसे को भी एक नए स्तर पर ले जाएगी। इस नई योजना के तहत एक ही शहर के भीतर यानी इंट्रा-सिटी डाक को महज 24 घंटे में और अलग-अलग प्रमुख शहरों के बीच यानी इंटर-सिटी डाक को 48 घंटे के भीतर पहुंचाने की गारंटी दी जाएगी। सबसे खास बात यह है कि यदि विभाग तय समय सीमा के भीतर डिलीवरी करने में विफल रहता है, तो ग्राहक को सेवा शुल्क वापस कर दिया जाएगा। वर्तमान में जिस स्पीड पोस्ट और पार्सल को पहुंचने में तीन से पांच दिन का समय लगता है, वह अब अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के कारण अगले ही दिन दरवाजे पर उपलब्ध होगा।

सुरक्षा के मोर्चे पर भी विभाग ने पुख्ता इंतजाम किए हैं, जहां डिलीवरी के समय ओटीपी आधारित सत्यापन अनिवार्य होगा ताकि पार्सल सही व्यक्ति के हाथों में पहुंचे। शुरुआती चरण में यह सेवा दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता और हैदराबाद जैसे महानगरों में उपलब्ध होगी, जहाँ छह राज्यों में चल रहा इसका गहन परीक्षण अब अपने अंतिम चरण में है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के नेतृत्व में तैयार किया गया यह रोडमैप 'डिजीपिन' जैसी डिजिटल पहलों के माध्यम से पूरे डाक विभाग को एकीकृत करने और 2029 तक इसे पूरी तरह लाभ कमाने वाली इकाई बनाने का लक्ष्य रखता है। भारतीय डाक की बढ़ती क्षमताओं का लोहा हाल ही में तब माना गया जब विभाग ने बेंगलुरु से अयोध्या तक प्रभु श्री राम की 800 किलो वजनी और स्वर्ण-रत्नों से जड़ित बहुमूल्य तंजौर पेंटिंग को पूर्ण सुरक्षा और विशेष निगरानी के साथ सफलतापूर्वक पहुंचाया । यह उपलब्धि दर्शाती है कि इंडिया पोस्ट अब केवल साधारण चिट्ठियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उच्च मूल्य वाले लॉजिस्टिक्स और वैश्विक मानकों वाली सेवाओं के लिए पूरी तरह तैयार है।

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