उत्तराखंड-हिमाचल में भूस्खलन, पंजाब में बाढ़ से तबाही

लगातार बारिश ने उत्तराखंड-हिमाचल में भूस्खलन और पंजाब में व्यापक बाढ़ को जन्म दिया; स्कूल बंद, सड़कें टूटीं और लाखों लोग प्रभावित हैं।
उत्तराखंड-हिमाचल में भूस्खलन, पंजाब में बाढ़ से तबाही
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उत्तर भारत के कई राज्यों में अगस्त 2025 में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने भयावह तबाही मचाई है, जिसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया, सैकड़ों लोगों की जान ले ली और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया। इस लेख में इन राज्यों में हाल की आपदाओं, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी हादसे, और राहत-बचाव प्रयासों का जायजा लिया गया है।

जम्मू-कश्मीर: वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन की त्रासदी

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में माता वैष्णो देवी मंदिर के यात्रा मार्ग पर 26 अगस्त 2025 को अर्धकुंवारी के पास भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने भयंकर तबाही मचाई। इस हादसे में 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए। मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका के बीच सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने व्यापक बचाव अभियान चलाया जा रहा हैं। इस आपदा ने जम्मू-कटरा हाईवे को बंद कर दिया, 58 ट्रेनें रद्द हुईं और 64 को शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया।

जम्मू-कश्मीर में लगातार चार दिनों तक मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। झेलम, तवी और चिनाब नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे श्रीनगर, डोडा, सांबा, कठुआ और उधमपुर जैसे क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। जम्मू में 6 घंटे में 22 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 115 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाली थी। टेलीकॉम सेवाएं बाधित होने से लाखों लोग संपर्क से कट गए, और श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग सहित कई सड़कें बंद हो गईं हैं।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति से अवगत कराया, जिन्होंने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घायलों से अस्पताल में मुलाकात की और मृतकों के परिजनों को 9 लाख रुपये (श्राइन बोर्ड से 5 लाख और आपदा प्रबंधन से 4 लाख) की सहायता की घोषणा की।

हिमाचल प्रदेश: बादल फटने और भूस्खलन से भारी नुकसान

हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस मॉनसून सीजन में राज्य में 317 लोगों की मौत हो चुकी है, और 2454 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कुल्लू, चंबा, शिमला और लाहौल-स्पीति जैसे क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाओं ने सड़कों, पुलों और घरों को तबाह कर दिया हैं। कुल्लू-मनाली और मंडी में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से कई रेस्तरां और 20 से अधिक घर-दुकानें बह गईं।

चंबा जिले में मणिमहेश यात्रा मार्ग पर भूस्खलन से चार श्रद्धालुओं की मौत हुई, और सिरमौर में एक महिला मलबे में दबकर मर गई। मौसम विभाग ने चंबा, कांगड़ा और मंडी के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, और अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन फसलों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है।

पंजाब: बाढ़ ने मचाई तबाही

पंजाब में मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने 12 जिलों में तबाही मचाई, जिसमें 1,018 गांव जलमग्न हो गए और 3 लाख एकड़ फसल बर्बाद हो गई। अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है, और 2.56 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। रावी, सतलज और ब्यास नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जिससे गुरदासपुर, कपूरथला और फिरोजपुर जैसे क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। पॉन्ग, भाखरा और रणजीत सागर डैम से पानी छोड़े जाने से स्थिति और बिगड़ गई हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये की सहायता मांगी है, और सेना, एनडीआरएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस राहत कार्यों में जुटी हुई है। पंजाब के गायक और कलाकार, जैसे सुनंदा शर्मा और दिलजीत दोसांझ, भी राहत सामग्री बांटकर और गांवों को गोद लेकर मदद कर रहे हैं।

राहत और बचाव कार्य

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और पंजाब में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में दिन-रात जुटे हैं। जम्मू-कश्मीर में 5,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, और राहत शिविरों में भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। हिमाचल में कुल्लू-मंडी सड़क को आंशिक रूप से खोला गया है, लेकिन कई क्षेत्रों में संपर्क अभी भी कटा हुआ है। पंजाब में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली और टेलीकॉम सेवाओं को बहाल करने के प्रयास जारी हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के मुख्यमंत्रियों से बात कर हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रभावित राज्यों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग की है।

उत्तर भारत में भारी बारिश और भूस्खलन ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुंचाया है। वैष्णो देवी मार्ग पर हुआ हादसा इस बात का दुखद उदाहरण है कि प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ बेहतर आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणालियों की कितनी आवश्यकता है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिसके चलते प्रशासन और नागरिकों को सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार और राहत एजेंसियों के समन्वित प्रयासों के बावजूद, इन आपदाओं से उबरने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है।

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