ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से खुशखबरी आ रही है। आपको बता दें कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खोल दिए गए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में मंदिर के सभी द्वार खोलने का वादा किया था और अब नवनिर्वाचित सरकार बनते ही मंदिर के चारों द्वार खोलने का फैसला किया है। अब मंदिर जाने वाले भक्त चारों द्वारों से प्रवेश कर सकेंगे।
इन चार द्वारों का राज जानें
सिंहद्वार - चार दिशाओं में चार दरवाजे हैं और उनके नाम जानवरों पर हैं। मंदिर की पूर्व दिशा में, सिंह यानी शेर के नाम पर सिंह द्वार है। ये मोक्ष का द्वार भी कहलाता है और जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने का मुख्य द्वार है।
व्याघ्र द्वार- इस दरवाजे का नाम आकांक्षा का प्रतीक बाघ पर है। पश्चिम दिशा में स्थित इस गेट से संत और विशिष्ट भक्त प्रवेश करते हैं।
हस्ति द्वार- हस्ति द्वार उत्तर दिशा में है और इसका नाम हाथी पर है। दरअसल, हाथी धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक है और उसका वाहन भी है। माना जाता है कि इस द्वार पर दोनों तरफ हाथी की आकृति है, लेकिन मुगल काल में इसकी मरम्मत हुई थी।
अश्व दरवाजा- दक्षिण दिशा के अश्वद्वार का प्रतीक घोड़ा है। जीत की इच्छा व्यक्त करने के लिए योद्धा इस दरवाजे को विजय का द्वार भी कहते थे।
कब बंद किए गए थे द्वार
2019 में कोरोनावायरस महामारी के दौरान जगन्नाथ मंदिर के तीन दरवाजे बंद कर दिए गए। इसे रोकने का लक्ष्य भीड़ को नियंत्रित करना और सोशल डिस्टेंसिंग को कम करना था। ऐसे में चारों दरवाजों से प्रवेश को एक गेट पर सीमित कर दिया गया था ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। 2019 से ये दरवाजे बंद थे और बीजेपी ने चुनाव से पहले इन्हें खुलवाने का वादा किया था। इन पांच वर्षों में इन दरवाजों को खोलने की बार-बार मांग की गई थी।
कैबिनेट की बैठक में द्वार खोलने का प्रस्ताव पारित किया गया
सीएम मोहन चरण माझी ने पहली कैबिनेट की बैठक में जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खोलने का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव सुबह पारित कर दिया गया और अपने विधायकों और पुरी के सांसद संबित पात्रा के साथ ‘मंगला आरती’ में शामिल हुए ।