आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत का बिहार दौरा

दो दिवसीय बिहार दौरे पर आ रहे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आगामी चुनाव की रणनीतियों और संगठन विस्तार पर रहेगा फोकस
आरएसएस  के सरसंघचालक मोहन भागवत का बिहार दौरा
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत 10 जून को दो दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि आरएसएस की भूमिका और उसकी चुनावी तैयारियों पर इसका सीधा असर पड़ता है।

अपने प्रवास के दौरान, मोहन भागवत सबसे पहले पटना में राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। इसके बाद, वह राजेंद्र नगर स्थित आरएसएस कार्यालय में संगठन के कुछ प्रमुख कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। इन बैठकों में आगामी चुनाव की रणनीतियों, संगठन के विस्तार और कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है।

दोपहर में, सरसंघचालक पटना के बाढ़ क्षेत्र में चल रहे आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर का दौरा करेंगे। इस शिविर में वे स्वयंसेवकों को संबोधित भी कर सकते हैं। यह प्रशिक्षण शिविर बिहार में नए स्वयंसेवकों को जोड़ने की आरएसएस की एक महत्वपूर्ण पहल है। भागवत का संबोधन कार्यकर्ताओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा और उन्हें संगठन के उद्देश्यों के प्रति प्रेरित करेगा।

एक व्यावहारिक नेता के रूप में मोहन मधुकरराव भागवत

11 सितंबर 1950 को जन्मे मोहन मधुकरराव भागवत एक पशु चिकित्सक और भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। उनका पारिवारिक जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ लंबे समय से रहा है।उनके पिता, मधुकरराव भागवत, चंद्रपुर क्षेत्र के प्रमुख थे और गुजरात के प्रांत प्रचारक के रूप में कार्य करते थे, जिन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी को आरएसएस से परिचित कराया था।

मोहन भागवत ने अपनी स्कूली शिक्षा चंद्रपुर के लोकमान्य तिलक विद्यालय से पूरी की और जनता कॉलेज चंद्रपुर से बीएससी प्रथम वर्ष की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अकोला स्थित पंजाबराव कृषि विद्यापीठ से पशु चिकित्सा और पशुपालन में स्नातक की शिक्षा पूरी की। 1975 में, जब देश में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू किया गया था, तब उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और आरएसएस के पूर्णकालिक स्वयंसेवक के रूप में कार्य करने लगे।

आपातकाल के दौरान भूमिगत रूप से कार्य करने के बाद, मोहन भागवत 1977 में महाराष्ट्र में अकोला के प्रचारक बने और धीरे-धीरे संगठन में आगे बढ़ते हुए नागपुर और विदर्भ क्षेत्रों के प्रचारक भी रहे। 1991 में, वे संघ के स्वयंसेवकों के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने और 1999 तक इस पद पर रहे। उसी वर्ष, उन्हें एक वर्ष के लिए, पूरे देश में पूर्णकालिक रूप से कार्य कर रहे संघ के सभी प्रचारकों का प्रमुख बनाया गया।

वर्ष 2009 से मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छठे और वर्तमान सरसंघचालक हैं। उन्हें एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने हिंदुत्व के विचार को आधुनिकता के साथ आगे ले जाने पर जोर दिया है। मोहन भागवत बदलते समय के साथ चलने पर बल देते हैं, हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने संगठन की नींव को समृद्ध और पारंपरिक भारतीय मूल्यों पर मजबूत बनाए रखा है। उनके विचारों और मार्गदर्शन का बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर सीधा असर पड़ सकता है, और उनके इस दो दिवसीय प्रवास पर राजनीतिक हलकों की करीबी निगाह रहेगी।

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