प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों/सचिवों (आपदा प्रबंधन) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), नागरिक सुरक्षा, होम गार्ड और अग्निशमन सेवाओं का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन-2024 आज संपन्न हुआ। सम्मेलन के दौरान स्थानीय स्तर तक आपदा प्रबंधन योजना बनाने पर जोर दिया गया।
दो दिवसीय सम्मेलन में केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों, केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के एसडीआरएफ/अग्निशमन सेवाओं के 300 से अधिक प्रतिनिधियों सहित ने गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
इस दो दिवसीय के सम्मेलन के समय विभिन्न सत्र आयोजित किए गए जिसमें विशेषज्ञों ने प्रारंभिक चेतावनी, आपदा के बाद हानि का आकलन, आपदा प्रतिक्रिया बलों की भूमिका, तटीय खतरा, सुनामी, तूफान ,चक्रवात आदि पर उपग्रह आधारित प्रारंभिक चेतावनी से जुड़े विषयों पर मंथन किया गया।
एसडीआरएफ को मजबूत करने एवं आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों में समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने एक संयुक्त सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में दक्षिण-पश्चिम मानसून पर तैयारियों सहित ग्लेशियल झील विस्फोट से बाढ़ (GLOF), जंगलों में लगने वाली आग और CBRN के उभरते खतरों से निपटने के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने कहा कि आपदाओं के समय हमारे भारत देश ने अन्य देशों की सहायता करने ,उनका सामना करने की अपनी क्षमता का बेहतर प्रदर्शन किया हैं। आपदा जोखिम प्रबंधन पर नए जी-20 कार्य समूह एवं आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI) आदि अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की पूरे विश्व में सराहना हुई हैं।
आगामी समय में स्थिति को मजबूत करने के तहत प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने कुछ विशेष बिंदुओं से उपस्थित लोगों को अवगत कराया । उन्होंने आपदाओं से निपटने के लिए बुनियादी संसाधन ,जागरूकता, क्षमता को आवश्यक बताया। साथ ही भविष्य के सभी बुनियादी ढांचों में ब्लूप्रिंट तैयार करने के चरण में ही DISASTER RESILIENCE को शामिल करने का सुझाव दिया।