
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुए कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CETA) ने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ ला दिया है। यह समझौता ब्रिटेन द्वारा यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक करार माना जा रहा है, जिससे हर साल द्विपक्षीय व्यापार में लगभग $34 अरब की वृद्धि होने की संभावना है।
इस समझौते के तहत भारत के लगभग 99% निर्यात अब ब्रिटेन में ड्यूटी-फ्री पहुंच सकेंगे, जिससे $23 अरब के नए अवसर विशेषकर श्रम-प्रधान क्षेत्रों—जैसे वस्त्र, चमड़ा, जूते, रत्न व आभूषण, खिलौने और समुद्री उत्पादों—में खुलेंगे। इससे देशभर के कारीगरों, बुनकरों और दैनिक मज़दूरों को सीधा लाभ मिलेगा, साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों को नई ताकत मिलेगी।
कृषि और मत्स्य पालन इस समझौते के सबसे बड़े लाभार्थियों में हैं। लगभग 95% कृषि उत्पादों और 99% समुद्री उत्पादों को अब शून्य शुल्क पर निर्यात की सुविधा मिलेगी, जिससे किसानों और मछुआरों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
निर्माण आधारित क्षेत्रों जैसे इंजीनियरिंग गुड्स, फार्मा, केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रोसेसिंग और प्लास्टिक उद्योग को भी कम टैरिफ और आसान विनियामक प्रक्रियाओं के जरिए नया बल मिलेगा।
आईटी, शिक्षा, और सेवाओं से जुड़े पेशेवरों के लिए ब्रिटेन के उच्च मूल्य वाले बाजारों तक पहुंच और सरल वीज़ा प्रक्रिया से नए अवसर मिलेंगे। खास बात यह है कि भारतीय कामगारों को UK में तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी योगदान से छूट मिलेगी, जिससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को आर्थिक लाभ होगा। शेफ, योग प्रशिक्षक, संगीतकार और व्यापारिक आगंतुकों को भी इससे सीधा फायदा मिलेगा।
यह समझौता भारतीय स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए ब्रिटेन की इनोवेशन इकोनॉमी और उपभोक्ता बाजारों के नए दरवाज़े खोलेगा। उपभोक्ताओं को भी उच्च गुणवत्ता वाले ब्रिटिश उत्पाद प्रतिस्पर्धी दरों पर मिल सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर की उपस्थिति में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। कीयर स्टारमर ने इसे “ब्रिटेन के लिए नौकरियों, निवेश और विकास” को बढ़ावा देने वाला ऐतिहासिक करार बताया।
यह समझौता न केवल आर्थिक तरक्की बल्कि समानता और समावेशी विकास को भी बढ़ावा देगा। भारत-UK FTA वैश्विक अर्थव्यवस्था में दोनों देशों की साझेदारी को नए स्तर पर ले जाते हुए सामुदायिक सशक्तिकरण, रोजगार सृजन और रणनीतिक व्यापार नेतृत्व को मजबूत करता है।