बैंक विनिवेश पर सरकार का बड़ा कदम

केंद्र सरकार अगले 6 महीनों के भीतर 5 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।
बैंक विनिवेश पर सरकार का बड़ा कदम
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केंद्र सरकार पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम करने की तैयारी में है। अगले छह महीनों के भीतर यह प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है, जिससे सरकार को बड़ी रकम मिलने की संभावना है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्धारित न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) मानदंड को अगस्त 2026 तक पूरा करना है।

सरकार जिन पांच बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है, उनमें यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। वर्तमान में, सरकार की इन बैंकों में 80% से अधिक की हिस्सेदारी है, कुछ मामलों में तो यह 98% से भी अधिक है।

हिस्सेदारी बेचने का कारण

इस विनिवेश का प्राथमिक कारण सेबी के 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंड को पूरा करना है। सेबी के नियमों के अनुसार, सूचीबद्ध कंपनियों को 25% सार्वजनिक शेयरधारिता बनाए रखना अनिवार्य है। हालांकि, सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को अगस्त 2026 तक इन मानदंडों को पूरा करने की छूट दी गई है। यह कदम सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करने और उनके प्रत्यक्ष स्वामित्व को कम करने की सरकार की व्यापक रणनीति का भी हिस्सा है।

हिस्सेदारी बेचने की योजना

रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) और ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से इन बैंकों में 5% से 20% तक हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति भी अंतिम चरण में है। इस कदम से इन बैंकों में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ने और बाजार में उनके प्रति सकारात्मक धारणा को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी एक नज़र में देखें तो, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93% से अधिक, इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.4%, और यूको बैंक में 95.4% हिस्सेदारी है। वहीं, पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.3% से अधिक है, जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में भी सरकार के पास 80% से अधिक की हिस्सेदारी है।

इस खबर के सार्वजनिक होते ही, शेयर बाजार में इन बैंकों के शेयरों में तेजी देखने को मिली है, जो बाजार की इस कदम के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया को दर्शाता है। यह विनिवेश न केवल सरकारी खजाने में वृद्धि करेगा बल्कि इन बैंकों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में भी सहायक होगा।

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