

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को और अधिक किसान-हितैषी बनाते हुए एक अहम फैसला लिया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने जंगली जानवरों के हमले से होने वाली फसल क्षति और धान की फसलों के जलभराव को बीमा कवरेज में शामिल कर लिया है। यह निर्णय लंबे समय से राज्यों और किसानों द्वारा उठाई जा रही मांगों को पूरा करता है, जिससे अब लाखों किसानों को अचानक होने वाले स्थानीय नुकसान से राहत मिल सकेगी।
नई गाइडलाइंस के अनुसार जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान अब ‘पाँचवां एड-ऑन कवर’ होगा। इसके लिए राज्य सरकारें उन जंगली जानवरों की सूची जारी करेंगी जो अक्सर फसलें नुकसान पहुंचाते हैं — जैसे हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदर। प्रभावित किसान 72 घंटे के भीतर क्रॉप इंश्योरेंस ऐप पर जियोटैग्ड फोटो अपलोड करके दावा कर सकेंगे। यह प्रणाली अधिक तकनीकी, पारदर्शी और तेज़ भुगतान सुनिश्चित करेगी।
2018 में नैतिक जोखिम और मूल्यांकन कठिनाइयों के कारण धान जलभराव को योजना से हटा दिया गया था। लेकिन लगातार बाढ़, भारी बारिश और तटीय इलाकों में जलभराव से किसानों को बार-बार नुकसान उठाना पड़ रहा था। इसे देखते हुए सरकार ने इसे फिर से लोकलाइज्ड कैलैमिटी कैटेगरी में शामिल कर लिया है। इससे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों के किसान सीधे लाभान्वित होंगे।
देशभर में जंगलों और वन्यजीव गलियारों के पास बसे लाखों किसान खास तौर पर प्रभावित होते हैं। ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तराखंड में जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान आम समस्या है। वहीं हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों—असम, मेघालय, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा—में भी यह खतरा अधिक है। नए प्रावधान इन किसानों को एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करेंगे।
कृषि मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने जोखिमों और जमीन-स्तर की चुनौतियों का अध्ययन कर सुझाव दिए थे। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। यह व्यवस्था पूरे देश में खरीफ 2026 से लागू होगी और स्थानीय स्तर पर होने वाले नुकसान की वैज्ञानिक और तेज़ मूल्यांकन-व्यवस्था को मजबूत करेगी।
इन सुधारों के साथ PMFBY अब अधिक समावेशी, व्यावहारिक और किसान-हितैषी बन गया है। जंगली जानवरों के हमले और धान जलभराव जैसे नए जोखिमों को शामिल करने से किसानों का भरोसा बढ़ेगा और भारत की कृषि-बीमा प्रणाली और मजबूत होगी।