जीएसटी वसूली में बिहार बना मिसाल

राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ते हुए बिहार ने जून 2025 में 12% GST वृद्धि के साथ मजबूत आर्थिक संकेत दिए।
जीएसटी वसूली में बिहार बना मिसाल
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जहां देश के कई बड़े राज्यों में जून 2025 के दौरान जीएसटी संग्रह में गिरावट या ठहराव देखने को मिला, वहीं बिहार ने 1709 करोड़ रुपये की वसूली के साथ राजस्व मोर्चे पर मजबूती का संकेत दिया है।जून 2025 में बिहार ने 1709 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह करते हुए पिछले वर्ष की तुलना में 12% की उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की। यह बढ़ोतरी न केवल राष्ट्रीय औसत (4.60%) से कहीं अधिक रही, बल्कि उस अवधि में कई बड़े और समृद्ध राज्यों के कमजोर प्रदर्शन के ठीक उलट रही।

गौरतलब है कि इसी अवधि में उत्तर प्रदेश में -4%, गुजरात में -1%, पंजाब में -3% और आंध्र प्रदेश में शून्य प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। ऐसे समय में बिहार का यह प्रदर्शन राज्य में व्यापार, वाणिज्य और कर आधार के विस्तार की पुष्टि करता है।

बिहार में जीएसटी संग्रह में आई यह बढ़त इस बात का संकेत है कि राज्य में व्यवसायिक गतिविधियां और औद्योगिक निवेश धीरे-धीरे सशक्त हो रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 तक राज्य में कुल 6,58,735 जीएसटी करदाता थे, जो जून 2025 तक बढ़कर 6,66,290 हो गए। यानी सिर्फ एक महीने में लगभग 8,000 नए करदाता जुड़े। यह कर आधार में निरंतर वृद्धि और कर अनुपालन में सुधार का परिणाम है।

विशेषज्ञों के अनुसार, जहां देश के कई हिस्सों में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में गिरावट देखी गई है, वहीं बिहार जैसे राज्य में जीएसटी संग्रह में उछाल आर्थिक सुगमता, डिजिटल कर प्रणाली और प्रशासनिक सख्ती का परिणाम है। इससे राज्य को न केवल राजस्व वृद्धि होगी, बल्कि भविष्य में रोजगार सृजन, अधोसंरचना विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं में भी गति मिलेगी।

झारखंड जैसे अन्य राज्य में भी जीएसटी संग्रह में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो दर्शाता है कि पूर्वी भारत के कुछ राज्य अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नई उम्मीदें जगा रहे हैं।

जैसे-जैसे बिहार जीएसटी में बेहतर प्रदर्शन करता जा रहा है, यह संभावना बन रही है कि राज्य आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ाएगा। यदि यही प्रवृत्ति बनी रही, तो बिहार निकट भविष्य में राष्ट्रीय आर्थिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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