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भारतीय नौसेना को मिला अभूतपूर्व बल

भारतीय नौसेना की ताकत में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। आईएनएस तमाल और आईएनएस उदयगिरि के बेड़े में शामिल होने से भारत की समुद्री सुरक्षा अभूतपूर्व रूप से सुदृढ़ हुई है।

भारतीय नौसेना की ताकत में एक ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है। रूस में निर्मित आईएनएस तमाल और भारत में बने स्वदेशी आईएनएस उदयगिरि को नौसेना के बेड़े में एक साथ शामिल किया गया, जिससे भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और रणनीतिक क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।

आईएनएस तमाल: ‘तलवार’ जैसा धारदार युद्धपोत

रूस के कलिनिनग्राद स्थित यांतर शिपयार्ड में बना आईएनएस तमाल अब वेस्टर्न नेवल कमांड का हिस्सा बन गया है। वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह की उपस्थिति में इसे औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया गया। ‘तमाल’ का अर्थ तलवार होता है, और यह नाम इसकी घातक क्षमताओं को दर्शाता है।

यह स्टेल्थ तकनीक से लैस मल्टी-रोल गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है, जिसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, टारपीडो, रॉकेट-आधारित एंटी-सबमरीन हथियार और 100 मिमी नेवल गन जैसे अत्याधुनिक हथियार लगे हैं। इसका डिज़ाइन भारत और रूस के सहयोग से तैयार किया गया है, जिसमें 33 प्रणालियाँ पूरी तरह स्वदेशी हैं। यह युद्धपोत रडार की पकड़ से बचने की क्षमता, 30 नॉट्स की रफ्तार, और 3000 किमी तक की दूरी तय करने की क्षमता रखता है। इसकी कमान कैप्टन श्रीधर टाटा के पास है।

आईएनएस उदयगिरि: आत्मनिर्भर भारत की समुद्री शक्ति

आईएनएस उदयगिरि मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट 17ए श्रेणी का दूसरा स्टेल्थ फ्रिगेट है। इसका नाम पूर्ववर्ती युद्धपोत के नाम पर रखा गया है, जिसने 2007 तक तीन दशकों तक सेवा दी थी। नया उदयगिरि अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित है, जिनमें सुपरसोनिक मिसाइल, मीडियम रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी गन और रैपिड फायर गन शामिल हैं।

यह युद्धपोत ‘सर्वदा सर्वत्र विजया’ (हमेशा और हर जगह जीत) के आदर्श वाक्य के साथ भारतीय नौसेना की रणनीतिक क्षमताओं में अहम भूमिका निभाएगा। इसका निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीकों और 200 से अधिक MSMEs के सहयोग से किया गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इन दोनों अत्याधुनिक युद्धपोतों के शामिल होने से भारतीय नौसेना न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में अधिक सक्षम हुई है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति और समुद्री प्रभुत्व को भी मजबूती मिली है।

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