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लोकतंत्र बचाने के लिए 'सेंगोल’ हटाना जरूरी: एसपी सांसद

एनडीए सरकार (NDA government) में तीसरी बार नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। लेकिन इस बार विपक्ष भी बड़ी ताकत के साथ सत्ता में वापसी कर चुका है और अब विपक्षी नेता संसद भवन में रखे 'सेंगोल' (Sengol) को हटाने की पैरवी कर रहे हैं। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में 'सेंगोल' (Sengol) की नए संसद भवन के लोकसभा (Lok Sabha) में स्थापना की गई थी। दरअसल, 'सेंगोल' राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक माना जाता रहा है।

संसद से 'सेंगोल' को हटाया जाए: सांसद आरके चौधरी

'सेंगोल' को हटाने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से सांसद आरके चौधरी (MP RK Chaudhary) ने बयान देकर सियासी तौर पर हड़कंप मच गया है। उन्होंने कहा कि सेंगोल का मतलब है 'राजा का डंडा'। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र (Democracy) को बचाने के लिए इसे संसद से हटाना ही होगा। इसके लिए समाजवादी पार्टी (SP) और अन्य दल इसका बड़ी मजबूती से विरोध करेंगे।

'सेंगोल' का चोल साम्राज्य से सीधा संबध

दरअसल ‘सेंगोल’ को चोल वंश के राजा अपने राज्य में प्रयोग करते थे। उस समय एक राजा दूसरे चोल राजा को सत्ता हस्तांतरण इसी ‘सेंगोल’ के माध्यम से करते थे, जो बेहद ठोस, सुंदर नक्काशी वाला सुनहरा राजदंड था। इस पर भी भगवान शिव (Lord Shiva) के वाहन नंदी की नक्काशी होती थी।

‘सेंगोल’ पर नंदी की आकृति

इतिहासकारों के मुताबिक चोल भगवान शिव के परम भक्तों में से एक थे। इसीलिए राजदंड में उनके परम भक्त नंदी की आकृति होती थी। ‘सेंगोल’ (Sengol) में अति सुंदर कृति है, इसकी लंबाई 5 फीट है।

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