बिस्कोमान के अध्यक्ष पद पर विशाल सिंह का चयन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सहकारी घटनाक्रम के रूप में सामने आया है। बैलेट से लेकर अदालत तक की लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार 21 वर्षों के बाद बिस्कोमान को नया नेतृत्व मिला। भाजपा नेता और राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) के चेयरमैन विशाल सिंह ने राजद नेता सुनील सिंह की पत्नी वंदना सिंह को अध्यक्ष पद की दौड़ में 5 वोटों से हराकर यह जीत हासिल की। इसके साथ ही महेश राय उपाध्यक्ष चुने गए, जिन्होंने विनय कुमार को 3 वोटों से पराजित किया।
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद पटना जिला प्रशासन ने 3 जुलाई को आधिकारिक तौर पर चुनाव परिणाम वेबसाइट पर प्रकाशित किया और बोर्ड का गठन किया गया। बिस्कोमान के कुल 20 निदेशक मंडल सदस्यों (17 निर्वाचित और 3 मनोनीत) में से 19 वैध मतपत्रों के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया पूरी हुई। पहले चुनाव परिणामों पर कोर्ट ने रोक लगाई थी, लेकिन अब न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंतिम निर्णय सामने आया।
विशाल सिंह न केवल एक सफल सहकारी नेता हैं, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक विरासत से भी आते हैं। वे बिस्कोमान के संस्थापक तपेश्वर सिंह के पोते और पूर्व सांसद अजित सिंह के पुत्र हैं। साथ ही वे एनसीसीएफ के निर्विरोध अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक अनुभव और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर इस पद पर जीत दर्ज की है। उल्लेखनीय है कि वे भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के दामाद भी हैं, जिससे उनकी राजनीतिक पहचान और सुदृढ़ होती है।
उपाध्यक्ष चुने गए महेश राय भी एक राजनीतिक विरासत से आते हैं। वे गोपालगंज के दिवंगत सांसद नगीना राय के पुत्र हैं और गोपालगंज सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के चेयरमैन रह चुके हैं। उनके चयन से भी संगठन में अनुभव और नेतृत्व को नया आधार मिला है।
भाजपा नेता विशाल सिंह द्वारा अध्यक्ष और महेश राय द्वारा उपाध्यक्ष पद ग्रहण करते ही बिस्कोमान के निदेशक मंडल का गठन हुआ। इस निदेशक मंडल में कुल 12 निदेशक शामिल किए गए हैं।
बिस्कोमान किसानों के लिए खाद, बीज, कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराता है। नए अध्यक्ष विशाल सिंह ने पदभार ग्रहण करते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता किसानों की सुविधाओं में सुधार और बिस्कोमान तक उनकी सीधी पहुंच सुनिश्चित करना है। वे सभी केंद्रों पर समय पर खाद उपलब्ध कराने की योजना को गति देने पर भी जोर देंगे।
यह बदलाव न केवल सहकारी तंत्र में नई ऊर्जा भरने वाला है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भाजपा बिहार में सहकारिता संगठनों के जरिए ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में अपनी पहुंच को मजबूत करने की दिशा में रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रही है। बिस्कोमान जैसे सशक्त संगठन पर नियंत्रण पार्टी को जमीनी स्तर पर बड़ी ताकत प्रदान कर सकता है।