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हिमालय का दिव्य अनुभव कराती श्रीखंड महादेव कैलाश यात्रा

13 दिवसीय यात्रा का भव्य आयोजन किया जाएगा; क्षेत्र को पांच सेक्टरों में बांटा गया है, भक्तों की सुरक्षा सर्वोपरि रहेगी।

हिमाचल प्रदेश की चुनौतीपूर्ण श्रीखंड महादेव कैलाश यात्रा, जो भारत की सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं में गिनी जाती है, इस साल 10 से 23 जुलाई तक आयोजित की जा रही है। निरमंड से मां अंबिका और दत्तात्रेय स्वामी जी की पवित्र छड़ी 7 जुलाई को अपनी यात्रा शुरू करेगी, जो गुरु पूर्णिमा के शुभ दिन श्रीखंड महादेव के दर्शन करने के बाद निरमंड स्थित दशनामी जूना अखाड़ा वापिस लौटेगी।

इस वर्ष यात्रा को पांच सेक्टरों में विभाजित किया गया है, जिनमें सिंह गाड, थाचडू, कुनशा, भीम डवारी और अंतिम बेस कैंप पार्वती बाग शामिल हैं। इन सभी स्थानों पर यात्रियों की सहायता के लिए सेक्टर कार्यालय स्थापित किए जाएंगे, जहाँ सेक्टर मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी, अटल बिहारी वाजपेई पर्वतारोहण संस्थान मनाली की रेस्क्यू टीम, जल शक्ति विभाग, वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल स्टाफ जैसी टीमें तैनात रहेंगी। पहली बार, एनडीआरएफ की एक यूनिट को यात्रा के अंतिम सेक्टर पार्वती बाग में तैनात किया जाएगा, जिससे सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया को और मज़बूती मिलेगी।

बाहरी राज्यों से आने वाले शिव भक्तों के लिए 250 रुपये का पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है, जिसका भुगतान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकेगा। श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट का ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल शीघ्र ही खोला जाएगा।

श्रीखंड महादेव यात्रा का ऑनलाइन पंजीकरण https://shrikhandyatra.hp.gov.in/register पर किया जा सकता है।

यह पवित्र स्थल भगवान शिव और माता पार्वती का निवास माना जाता है। यहां स्थित पार्वती बाग नामक सरोवर के बारे में मान्यता है कि यह माता पार्वती के आंसुओं से बना था, जब उन्होंने भस्मासुर के भय से रोया था। पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर ने भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। जब भस्मासुर ने भगवान शिव को ही भस्म करने का प्रयास किया, तब भगवान शिव ने श्रीखंड कैलाश पर्वत पर शरण ली थी। एक और मान्यता के अनुसार, पांडवों ने भी अपने वनवास के दौरान श्रीखंड कैलाश पर्वत पर निवास किया और यहां तपस्या कर महादेव को प्रसन्न किया था।

यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसमें शामिल होने वाले भक्तों को प्रकृति के अनूठे और चुनौतीपूर्ण स्वरूप का भी अनुभव करने का अवसर मिलता है। प्रशासन और यात्रा ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े इंतज़ाम किए हैं कि यह दिव्य यात्रा सभी श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और यादगार बनी रहे।

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