कांडला स्थित दीनदयाल पत्तन प्राधिकरण (डीपीए) में देश के पहले 1 मेगावाट क्षमता वाले हरित हाइड्रोजन विद्युत संयंत्र का उद्घाटन केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा किया गया। यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2030 तक स्वच्छ और हरित ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।
यह संयंत्र राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत स्थापित किया गया है और हर वर्ष लगभग 140 मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में सक्षम होगा। इससे न केवल समुद्री क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि बंदरगाह संचालन को भी अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने "मैरीटाइम इंडिया विजन 2030" के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, इस परियोजना को गति, बड़े पैमाने और दक्षता का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री ने 26 मई 2025 को भुज में 10 मेगावाट की हरित हाइड्रोजन परियोजना की नींव रखी थी, और सिर्फ चार महीने के भीतर ही 1 मेगावाट का मॉड्यूल शुरू हो जाना भारत की मजबूत कार्यान्वयन क्षमता का प्रमाण है।
उद्घाटन कार्यक्रम में राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर, मंत्रालय के सचिव श्री टी.के. रामचंद्रन, डीपीए अध्यक्ष श्री सुशील कुमार सिंह और एलएंडटी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर भारत के पहले मेक-इन-इंडिया पूर्णत: इलेक्ट्रिक ग्रीन टग की भी चर्चा की गई, जिससे डीपीए की सतत हरित पहलों के प्रति प्रतिबद्धता और मजबूत दिखाई देती है।
श्री सोनोवाल ने एलएंडटी की इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और डीपीए के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि यह संयंत्र न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि देश भर के बंदरगाहों को नवीनतम और पर्यावरण-संवेदनशील तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा भी देगा।
राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर ने इसे गुजरात ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बताया और कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
दीनदयाल पत्तन प्राधिकरण का यह हरित हाइड्रोजन संयंत्र भारत के हरित समुद्री भविष्य की ओर एक निर्णायक और साहसिक कदम है, जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए एक नई दिशा स्थापित कर रहा है।