बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने मतदाता जागरूकता के लिए अभिनव पहल की है। फिल्म अभिनेता क्रांति प्रकाश झा और अभिनेत्री नीतू चंद्रा को बिहार राज्य के स्वीप (SVEEP) आइकॉन के रूप में नामित किया गया है। यह नियुक्ति बिहार निर्वाचन विभाग की ओर से भारत निर्वाचन आयोग की औपचारिक स्वीकृति के बाद की गई है। इन दोनों चर्चित हस्तियों को राज्य में मतदाता शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाने का कार्य सौंपा गया है।
बिहार में इस बार SVEEP (Systematic Voters’ Education and Electoral Participation) अभियान को विशेष महत्व इसलिए भी दिया जा रहा है क्योंकि लगभग 22 वर्षों बाद राज्य में मतदाता सूची की गहराई से समीक्षा की जा रही है। इस प्रक्रिया में उन लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं जो या तो लंबे समय से राज्य से बाहर हैं, जिनका निधन हो चुका है, या जिनके नाम संदिग्ध पाए गए हैं। वहीं, कुछ स्थानों पर सही मतदाताओं के नाम भी सूची से हटने की खबरें आई हैं, जिस पर राजनीतिक स्तर पर सवाल उठने लगे हैं।
बिहार में जन्मे और फिल्मों में अपनी विशेष पहचान बना चुके क्रांति प्रकाश झा और नीतू चंद्रा को अब राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता जनजागरूकता के अभियान से जोड़ा है। ये दोनों हस्तियां जागरूकता रैलियों, संवाद कार्यक्रमों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए लोगों को चुनावी प्रक्रिया से जुड़ने के लिए प्रेरित करेंगी।
बिहार चुनाव आयोग के अनुसार, ये आइकॉन्स चुनाव प्रक्रिया से युवाओं को जोड़ने, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और सुचिता कायम रखने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
इस बार चुनाव आयोग ने 100 प्रतिशत मतदान की दिशा में विशेष रणनीति बनाई है। 30 सितंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा, जिसके बाद चुनाव तिथियों की घोषणा संभावित है। ध्यान देने योग्य है कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार में करीब 58% मतदान हुआ था। आयोग का लक्ष्य इस बार इसे 65% से अधिक तक पहुंचाना है।
इसके अतिरिक्त, आयोग विशेष रूप से महिलाओं, दिव्यांगों, पहली बार वोट डालने वाले युवाओं और शहरी मतदाताओं को लेकर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, क्योंकि इन वर्गों में मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत कम पाया गया है। सोशल मीडिया, रेडियो, लोक कलाकारों और मोबाइल प्रचार वाहनों के जरिए मतदाता शिक्षा को स्थानीय भाषा में जन-जन तक पहुँचाया जा रहा है।
निष्कर्षतः, बिहार में इस बार चुनाव केवल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का पर्व बनने की दिशा में अग्रसर है। लोकप्रिय चेहरों को आइकॉन बनाना, निष्पक्ष पुनरीक्षण और व्यापक जागरूकता अभियानों की रणनीति एक सशक्त, भागीदारीपूर्ण और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने की ओर संकेत करती है।