गुजरात सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए 17 नए तालुकों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इससे राज्य में तालुकों की कुल संख्या 248 से बढ़कर 265 हो जाएगी। यह कदम राज्य के विकास को गति देने और स्थानीय स्तर पर सेवाओं को सुलभ बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री और सरकारी प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आपना तालुका, वाइब्रेंट तालुका' (ATVT) अभियान से प्रेरित है, जो उनके गुजरात के मुख्यमंत्री रहते शुरू किया गया था।
नए तालुकों का निर्माण: कहां-कहां होगा विस्तार?
कैबिनेट के फैसले के अनुसार, नए तालुक मुख्य रूप से उत्तर, मध्य और दक्षिण गुजरात के जिलों में बनाए जाएंगे। इनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक कल्याण सेवाओं को तालुका स्तर पर पहुंचाना है। इससे लोगों को सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने में समय और खर्च की बचत होगी। प्रमुख जिलों में वितरण इस प्रकार है:
जिला - नए तालुकों की संख्या -प्रमुख क्षेत्र/विवरण
बनासकांठा - 4 - वाव- थराद क्षेत्र में विस्तार; नए जिले वाव- थराद का हिस्सा (थराद मुख्यालय)
दाहोद - 2 - आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रशासनिक सुविधा
अरवल्ली - 2 - स्थानीय मांगों को पूरा करने के लिए
सूरत - 2 - औद्योगिक विकास को बढ़ावा
खेड़ा - 1 - मध्य गुजरात में
महिसागर - 1 - ग्रामीण विकास फोकस
पंचमहाल - 1 - आदिवासी क्षेत्र मजबूती
नर्मदा - 1 - दक्षिण गुजरात में
वलसाड़ - 1 - तटीय विकास
छोटा उदेपुर - 1 - आदिवासी प्रभावित
तापी - 1 - दक्षिण गुजरात
कुल 21 मौजूदा तालुकों को पुनर्गठित कर ये नए तालुका बनाए जाएंगे। इसके अलावा, बनासकांठा जिले को विभाजित कर नया वाव-थराड़ जिला (राज्य का 34वां जिला) बनाने की भी मंजूरी दी गई है, जिसमें वाव, थराद, सुईगाम, भाभर, डियोदर और लाखनी तालुका शामिल होंगे। थराद को जिला मुख्यालय बनाया जाएगा। यह नया जिला पाकिस्तान सीमा से सटा हुआ होगा।
विकसित भारत @2047 का हिस्सा: स्थानीय स्तर पर सशक्तिकरण
मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि यह कदम 'विकसित भारत @2047' के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है, जिसके तहत गुजरात को 2047 तक विकसित राज्य बनाने का सपना है। ATVT अभियान के तहत तालुका इकाई को मजबूत करने से ग्रामीण विकास को नई गति मिलेगी। 2013 के बाद यह सबसे बड़ा विस्तार है, जब 23 नए तालुका बने थे। अधिसूचना जल्द जारी होने के बाद नए तालुकों का कार्यान्वयन अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।
राजनीतिक निहितार्थ: स्थानीय निकाय चुनावों से पहले बड़ा दांव
यह फैसला जनवरी-फरवरी 2026 में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों (पंचायत-नगरपालिका) से ठीक पहले आया है, जिसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर और दक्षिण गुजरात के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, सौराष्ट्र क्षेत्र (जूनागढ़, राजकोट, जामनगर आदि) में लंबित तालुका मांगों की अनदेखी से असंतोष उभर रहा है। कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल ने इसे "क्षेत्रीय भेदभाव" बताते हुए कहा कि सौराष्ट्र के किसानों और मछुआरों की मांगें कब पूरी होंगी?
आम आदमी पार्टी (AAP) के गोपाल इटालिया ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की, "सौराष्ट्र को वोटबैंक के रूप में नजरअंदाज किया जा रहा है।" भाजपा के अंदरूनी स्रोतों का मानना है कि यह वोटबैंक रणनीति है, जो आगामी चुनावों में लाभ देगी, लेकिन सौराष्ट्र में विरोधी आंदोलन की आशंका भी जताई जा रही है।
जनता की प्रतिक्रिया: सुविधा बढ़ेगी या राजनीतिक खेल?
नए तालुकों से ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिलेगा, लेकिन विपक्ष इसे चुनावी जुमला बता रहा है। एक स्थानीय किसान ने कहा, " नए तालुका बनने से हमारी समस्याएं दूर होंगी, कार्यालय नजदीक होंगे।" सरकार का दावा है कि यह नागरिक-केंद्रित कदम है, जो विकास को गति देगा।