गुजरात भाजपा में बड़ा बदलाव : पार्टी ने अपने नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जगदीशभाई विश्वकर्मा को चुना है। इस नियुक्ति के साथ विश्वकर्मा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सी.आर. पाटिल का स्थान लिया। विश्वकर्मा ने 4 अक्टूबर को गांधीनगर प्रदेश कार्यालय में पदभार ग्रहण किया। यह चयन आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले पार्टी संगठन को मजबूत करने, पटेल-ओबीसी समीकरण को संतुलित करने और मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियों का हिस्सा माना जा रहा है।
राजनीतिक यात्रा: बूथ वर्कर से मंत्री तक
52 वर्षीय जगदीशभाई विश्वकर्मा अहमदाबाद के निकोल विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक हैं। वे राज्य मंत्रिमंडल में सहकारिता, लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम (MSME), कुटीर उद्योग, खादी और ग्रामीण उद्योग मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले विश्वकर्मा को अमित शाह का करीबी माना जाता है। इनकी राजनीतिक यात्रा बूथ स्तर के कार्यकर्ता से शुरू होकर अहमदाबाद शहर भाजपा अध्यक्ष से होते हुए अब संगठन के शीर्ष पद तक पहुंची है। 2012 में पहली बार विधायक चुने गए विश्वकर्मा ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है।
अहमदाबाद से पहली बार प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले विश्वकर्मा को पार्टी ने पटेल (पाटीदार) समुदाय के प्रभाव को संतुलित करने के लिए चुना है। ओबीसी चेहरे के साथ भाजपा उत्तर और मध्य गुजरात में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
चयन का राजनीतिक महत्व: चुनावी रणनीति का हिस्सा
भाजपा का यह फैसला 2026 के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले आया है, जहां ओबीसी वोटरों की भूमिका अहम होगी। विश्लेषकों का मानना है कि विश्वकर्मा का चयन पाटीदार समुदाय का असंतोष कम करने और ओबीसी समुदाय को एकजुट करने का प्रयास है। अमितभाई शाह के करीबी होने से संगठन में अनुशासन और चुनावी रणनीति पर इनका फोकस रहेगा।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "विश्वकर्मा का अनुभव सहकारी क्षेत्र से है, जो ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा की ताकत बढ़ाएगा। यह चयन शाह जी की रणनीति का हिस्सा है, जो संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करेगा।" विश्वकर्मा ने पदभार ग्रहण करने से पहले कहा, "मैं बूथ से लेकर संगठन तक हर स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलूंगा और हम पार्टी को अधिक मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे।"
विश्वकर्मा के सामने संगठन में एकता बनाए रखने और सौराष्ट्र-उत्तर गुजरात में बढ़ते असंतोष को शांत करने की चुनौती होगी। भाजपा का यह कदम राज्य की राजनीति में नया अध्याय लिखेगा, लेकिन संगठन की एकजुटता पर नजर रहेगी।