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असम के विकास को नई उड़ान: पीएम मोदी का मिशन 21 दिसंबर

उर्वरक और विमानन क्षेत्र में महा-परियोजनाओं से बदलेगी पूर्वोत्तर की आर्थिक तस्वीर।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 दिसंबर को असम को दो बड़े उपहार देने जा रहे हैं, जिसमें नामरूप में अत्याधुनिक अमोनिया-यूरिया प्लांट की आधारशिला और गुवाहाटी में नए एयरपोर्ट टर्मिनल का लोकार्पण शामिल है। यह दौरा न केवल राज्य की औद्योगिक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि कृषि आत्मनिर्भरता और रोजगार के नए अवसरों के द्वार भी खोलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 21 दिसंबर का असम दौरा पूर्वोत्तर भारत के औद्योगिक और कृषि इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होने वाला है। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण डिब्रूगढ़ जिले के नाहरकटिया में स्थित नामरूप फर्टिलाइजर प्लांट में एक नई विशाल यूरिया उत्पादन इकाई की आधारशिला रखना है। लगभग 1.2 मिलियन मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता वाली यह प्रस्तावित यूनिट करीब ₹10,600 करोड़ से अधिक के निवेश से तैयार होगी। असम सरकार के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को अगले तीन वर्षों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह नई इकाई न केवल घरेलू स्तर पर उर्वरकों की कमी को दूर करेगी, बल्कि पूर्वोत्तर के औद्योगिक इकोसिस्टम को मजबूती देते हुए हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा करेगी।

औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रधानमंत्री इस दौरे पर विमानन क्षेत्र को भी बड़ी सौगात देंगे। गुवाहाटी स्थित लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (LGBIA) का नया एकीकृत टर्मिनल भवन अब राष्ट्र को समर्पित होने के लिए तैयार है। 'बैम्बू ऑर्किड' थीम पर आधारित यह टर्मिनल अपनी आधुनिक सुविधाओं और विशाल क्षमता के कारण गुवाहाटी को दक्षिण-पूर्व एशिया के एक प्रमुख लॉजिस्टिक और ट्रैवल हब के रूप में स्थापित करेगा। इस हवाई अड्डे के विस्तार से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ 'एक्ट ईस्ट' नीति के तहत व्यापारिक रिश्तों को भी नई गति मिलेगी।

विकास परियोजनाओं के अलावा, प्रधानमंत्री का यह दौरा असम की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के सम्मान से भी जुड़ा है। 21 दिसंबर की सुबह वह गुवाहाटी के बोरागांव में नवनिर्मित ‘शहीद स्मारक क्षेत्र’ का दौरा करेंगे, जहाँ वह असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके उपरांत, नामरूप में आयोजित विशाल जनसभा में वह पूर्वोत्तर के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि वे ब्रह्मपुत्र नदी पर आयोजित एक विशेष सत्र में छात्रों से संवाद भी कर सकते हैं, जो इस दौरे को और अधिक समावेशी और प्रेरणादायक बनाता है।

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