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PMO का नया नामकरण - सेवा तीर्थ

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' किया।

केंद्र सरकार ने भारतीय प्रशासनिक संरचना में एक महत्वपूर्ण वैचारिक और सांस्कृतिक परिवर्तन करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' कर दिया है। यह नामकरण सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत निर्मित हो रहे नए और उन्नत PMO परिसर के लिए किया गया है। सरकार ने इस बदलाव को 'सत्ता से सेवा' की ओर बढ़ते कदम के रूप में परिभाषित किया है और जोर दिया है कि यह मात्र प्रशासनिक नहीं, बल्कि एक गहरा सांस्कृतिक परिवर्तन है। 'सेवा तीर्थ' नामकरण का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय अब देश सेवा का केंद्र है, जहाँ राष्ट्रीय हित और जन-कल्याण के प्रति समर्पण की भावना से महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। इस पहल के माध्यम से, सरकार प्रशासन में जवाबदेही और सेवा के भाव को सर्वोपरि रखना चाहती है, जो इसकी पहचान से ही जनता के प्रति जवाबदेही का भाव पैदा करे।

इस बड़े बदलाव के तहत, देश भर में राज्यपालों और उप-राज्यपालों के कार्यालयों, जिन्हें 'राज भवन' कहा जाता था, उनका नाम बदलकर अब 'लोक भवन' (और उप-राज्यपालों के लिए 'लोक निवास') कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तर्क दिया है कि 'राज भवन' जैसे नाम औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाते थे, और नए नामकरण के साथ यह औपनिवेशिक छाप समाप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, सेंट्रल विस्टा परियोजना के हिस्से के रूप में बन रहे नए कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CCS) को अब 'कर्तव्य भवन' के नाम से जाना जाएगा। PMO जल्द ही अपने 78 साल पुराने ठिकाने साउथ ब्लॉक से निकलकर 'सेवा तीर्थ' नामक नए और एडवांस कैंपस में शिफ्ट होगा, जिसके विभिन्न भाग जैसे 'सेवा तीर्थ-1' में PMO, 'सेवा तीर्थ-2' में कैबिनेट सचिवालय और 'सेवा तीर्थ-3' में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का दफ्तर स्थापित होंगे। यह पूरी परियोजना सरकार के उस लक्ष्य का हिस्सा है जिसके तहत 'कर्तव्य पथ' (पूर्व राजपथ) के 3 किलोमीटर क्षेत्र को एक आधुनिक और सुव्यवस्थित सरकारी ज़ोन में बदला जा रहा है, और भविष्य में ऐतिहासिक नॉर्थ ब्लॉक तथा साउथ ब्लॉक को 'युग-युगीन भारत संग्रहालय' में बदला जाएगा। यह प्रशासनिक नाम परिवर्तन की श्रृंखला में नया कदम है; इससे पहले राजपथ को 'कर्तव्य पथ' और रेस कोर्स रोड (PM आवास) को 'लोक कल्याण मार्ग' किया गया था।

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