केंद्र सरकार देश में खुदरा महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक - CPI) की गणना के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। इस सुधार का मुख्य उद्देश्य बदलते उपभोक्ता व्यवहार, खासकर ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन को, महंगाई के आंकड़ों में अधिक सटीक रूप से दर्शाना है। यह बदलाव न केवल महंगाई दर के आकलन को आधुनिक बनाएगा, बल्कि भविष्य की आर्थिक नीतियों को भी प्रभावित करेगा।
नया आधार वर्ष और ऑनलाइन खरीदारी का समावेश
वर्तमान में, खुदरा महंगाई की गणना के लिए वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष माना जाता है। सरकार अब इसे बदलकर 2024 को नया आधार वर्ष निर्धारित करेगी। यह महत्वपूर्ण परिवर्तन संभवतः वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में लागू होगा। इस बदलाव के साथ ही, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से होने वाली ऑनलाइन खरीदारी को भी सीपीआई की गणना में शामिल किया जाएगा। अभी तक, यह गणना मुख्य रूप से पारंपरिक बाजारों और भौतिक दुकानों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित थी। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की गणना में भी इसी तरह के बदलाव की उम्मीद है।
ऑनलाइन खर्च का बढ़ता दायरा
इस पहल के तहत, महंगाई के आंकड़ों में ऑनलाइन खरीदारी के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए 12 प्रमुख भारतीय शहरों में लोगों के ऑनलाइन खर्च पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन शहरों का चयन 25 लाख या उससे अधिक की आबादी के आधार पर किया जाएगा, जहां ऑनलाइन खरीदारी की आदतें तेजी से बढ़ रही हैं। अगले दो महीनों में, विभिन्न उपभोग श्रेणियों के तहत आने वाले सामानों के लिए भार (वेटेज) भी तय किया जाएगा।
यह बदलाव केवल ऑनलाइन उत्पादों की खरीद तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म्स, रेल और हवाई यात्रा बुकिंग, और टैक्सी बुकिंग ऐप्स जैसी ऑनलाइन सेवाओं पर होने वाले खर्चों को भी शामिल किया जाएगा। वर्तमान में, हवाई और रेल किराए का सीपीआई में कुल भार केवल 0.3% है, जबकि टैक्सी और ऑटो का भार 0.56% है। नए आकलन में इन सेवाओं का बढ़ता महत्व दर्शाया जाएगा।
सर्वेक्षण का विस्तार: अधिक बाजार, अधिक उत्पाद
महंगाई सर्वेक्षण का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। फिलहाल, खुदरा महंगाई के लिए 2,295 बाजारों से आंकड़े जुटाए जाते हैं, जिनमें लगभग 1,200 ग्रामीण और शेष शहरी बाजार हैं। नई योजना के तहत, यह दायरा बढ़कर 2,900 बाजारों तक पहुंच जाएगा। इसके अतिरिक्त, खुदरा महंगाई में शामिल उत्पादों की संख्या को भी 300 से बढ़ाकर अधिक किया जाएगा, जिससे यह सूचकांक और भी व्यापक और प्रतिनिधि बन सके।
बदलते उपभोक्ता व्यवहार का प्रतिबिंब
यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते डिजिटलीकरण और उपभोक्ता व्यवहार में आ रहे संरचनात्मक बदलावों का सीधा प्रतिबिंब है। ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल सेवाओं का उपयोग अब केवल शहरी या उच्च आय वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धीरे-धीरे सभी वर्गों में फैल रहा है। इस बदलाव से सरकार को महंगाई की वास्तविक तस्वीर समझने में मदद मिलेगी, जिससे वह अधिक प्रभावी मौद्रिक और वित्तीय नीतियां बना सकेगी। यह भारतीय आंकड़ों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।